जानिये गायत्री मंत्र का रहस्य?
गायत्री मंत्र: स्वरूप, लाभ और रहस्य यह लेख गायत्री मंत्र के वास्तविक स्वरूप, उसके जाप से मिलने वाले लाभ और उसकी उत्पत्ति से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास करता है। यह जगतगुरु रामपाल जी महाराज द्वारा दी गई…
गायत्री मंत्र: स्वरूप, लाभ और रहस्य यह लेख गायत्री मंत्र के वास्तविक स्वरूप, उसके जाप से मिलने वाले लाभ और उसकी उत्पत्ति से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास करता है। यह जगतगुरु रामपाल जी महाराज द्वारा दी गई…
महात्मा गांधी के विचार: महर्षि दयानन्द और ‘सत्यार्थ प्रकाश’ इस लेख में महात्मा गांधी के विचारों को उनके अख़बार ‘यंग इंडिया’ के हवाले से प्रस्तुत किया गया है, जहाँ उन्होंने महर्षि दयानन्द सरस्वती और उनकी पुस्तक ‘सत्यार्थ प्रकाश’ पर अपनी…
हनुमान जी ने कभी नहीं कहा कि आप उनकी पूजा करें यह लेख हनुमान जी की पूजा पर सवाल उठाता है और दावा करता है कि स्वयं हनुमान जी ने अपनी पूजा करने से मना किया है। इसमें सुंदरकांड के…
‘सत्यार्थ प्रकाश’ के तृतीय समुल्लास का सच यह लेख महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा लिखित ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के तीसरे समुल्लास में दिए गए एक श्लोक की व्याख्या पर सवाल उठाता है। लेख में दयानन्द द्वारा किए गए अर्थ को गलत बताते…
दयानंद का महाअज्ञान: यजुर्वेद के भाष्यों पर सवाल यह लेख महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा यजुर्वेद के कुछ मंत्रों पर किए गए भाष्यों (व्याख्याओं) की कड़ी आलोचना करता है। लेखक दयानंद पर अज्ञानता, परस्पर विरोधी बातें कहने और अश्लील अर्थ निकालने…
दयानंद आत्मचरित – एक अधूरा सच यह लेख महर्षि दयानंद सरस्वती की जीवनी पर एक आलोचनात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। इसमें उनके आत्मचरित और आर्य समाजियों द्वारा बताई गई जीवनी के बीच के विरोधाभासों को उजागर किया गया है। लेखक…
दयानंद का महाअज्ञान: सत्यार्थ प्रकाश का सच यह लेख महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा लिखित ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के सातवें समुल्लास में दिए गए कुछ श्लोकों की व्याख्या पर गंभीर सवाल उठाता है। लेखक दयानंद पर अज्ञानता और धोखेबाजी का आरोप लगाते…
वेदों के तथाकथित ज्ञाता दयानंद निकले महामुर्ख दयानंद महर्षि या फिर अव्वल दर्जे का महाअज्ञानी ?? पढने के पश्चात स्वयं निर्णय करें दयानंद सत्यार्थ प्रकाश के एकादश समुल्लास में लिखते है कि “नानक जी को ज्ञान नहीं था” अब उन महापुरूष…
दयानंद की बुद्धि में गोबर (दयानंदी जिहाद) दयानंद मत लड़ाई में स्त्रियाँ भी धन संपदा आदि की भाँति लूटने और बाटने की वस्तु। सत्यार्थ प्रकाश षष्ठ समुल्लास.दयानंद लिखते है –रथाश्वं हस्तिनं छत्रं धनं धान्यं पशून्स्त्रियः ।सर्वद्रव्याणि कुप्यं च यो यज्जयति…
नियोग (भाग-1) यह लेख महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा लिखित ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के चतुर्थ समुल्लास में वर्णित ‘नियोग’ प्रथा पर आधारित है। यह पुनर्विवाह के विकल्प के रूप में प्रस्तावित एक प्रथा है, जिसका उद्देश्य कुल की परंपरा को जारी रखना…