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अदालत की सुनवाई एवं निर्णय (बहुत विस्तार से)
1. सजा निलंबन – पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय (28 अगस्त 2025)
- आदेश कब और किसने सुनाया:
28 अगस्त 2025 को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच—न्यायमूर्ति गुरविंदर सिंह गिल और न्यायमूर्ति दीपिंदर सिंह नलवा ने संत रामपाल जी महाराज की शेष (life imprisonment) सजा अपील लंबित रहने तक निलंबित (suspended) करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि यह आदेश मामले के मूल न्याय (merits) पर कोई राय नहीं है—यह केवल अस्थायी राहत है।(BKPK VIDEO, IPA Newspack, Navbharat Times) - न्यायालय द्वारा उठाए गए मुख्य आधार (जजमेंट में दर्ज):
- वैद्यकीय प्रमाण विवादास्पद (debatable medical evidence): मौत की वजह के रूप में suffocation की जगह एक medical board ने प्न्यूमोनिया (पल्मोनिया) बताया, जिसे अदालत ने “disputable issues” (विवादास्पद मुद्दे) मानकर चिंतन योग्य बताया।(BKPK VIDEO)
- घटना के परिवारियों का बयान: मृतक महिला के पति और सास ने अभियोजन पक्ष का साथ नहीं दिया, बल्कि यह माना कि उनकी मौत का कारण लंबी बीमारी थी, जिससे अभियोजन की कहानी कमजोर हुई।(BKPK VIDEO)
- उम्र और जेल अवधि: संत रामपाल जी की उम्र लगभग 74 वर्ष है, और वे अब तक 10 वर्ष और 27 दिन जेल में रह चुके हैं। अदालत ने इसे मानवीय दृष्टिकोण से देखना उचित माना।(BKPK VIDEO)
- सह-आरोपियों को राहत: 13 सह-आरोपी पहले से ही ज़मानत पर रिहा हैं। अदालत ने parity (समानता) की चिंता जताते हुए राहत की आवश्यकता महसूस की।(Navbharat Times)
- न्यायमूर्ति गिल और नलवा का कथन:
अदालत ने अपने निर्णय में कहा— “यदि प्रमाण विवादास्पद हैं, तो सजा जारी नहीं रह सकती।”
और
“अभियुक्त ने लगभग 74 वर्ष की आयु में अब तक 10 वर्ष 27 दिन जेल में बिताए हैं; मृतिका के पति और सास ने अभियोजन की कहानी का समर्थन नहीं किया; यह मामला अंतरिम राहत (suspension of sentence) का उपयुक्त मामला है।”(IPA Newspack, latestlaws.com)
2. पृष्ठभूमि — पिछले बरी (acquittals) और जुर्माना
संत रामपाल जी महाराज को कई मामलों में न्यायालय द्वारा राहत मिली — बरी किया गया या सजा निलंबित हुई:
वर्ष | मामला | निर्णय |
---|---|---|
2017 (29 अगस्त) | गलत तरीके से बंदी बनाने (wrongful confinement) और सरकारी कार्य में बाधा | हिसार अदालत ने दो मामलों (FIR 426 & 427) में पूर्णतः बरी (acquittal) किया।(SA News Channel) |
2021 (26 जुलाई) | Drugs & Cosmetics Act के तहत एक मामला | अदालत ने उन्हें और चार अन्य लोगों को बरी कर दिया। अभियोजन पक्ष सबूत प्रस्तुत करने में विफल रहा।(Wikipedia) |
2022 (20 दिसंबर) | 2006 के गोलीकांड और भू-विवाद (land fraud आदि) मामले | संत रामपाल जी महाराज को बरी कर दिया गया।(Wikipedia) |
2018 (11–16 अक्टूबर) | दो हत्या के मामले (FIR 429 और 430)—Barwala ashram में 2014 की घटना | हिसार की विशेष अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास (life imprisonment) की सजा सुनाई, जुर्माने समेत, IPC की धारा 302, 343 और 120-B के अंतर्गत।(Wikipedia, indianexpress.com) |
2025 (28 अगस्त) | उपर्युक्त सजा निलंबित (suspended) की गई—अपील लंबित रहने तक। | न्यायालय ने उपरोक्त आधारों (medical, age, parity आदि) को ध्यान में रखते हुए यह राहत दी।(BKPK VIDEO, timesofindia.indiatimes.com, latestlaws.com) |
बहस—वकीलों और पक्षों के तर्क
- रक्षा पक्ष का दावा:
- बहुत समय तक जेल में रहना (10 साल +) मानवीय दृष्टिकोण से न्यायसंगत नहीं।
- सह-आरोपियों को पहले से राहत मिल चुकी है, अत: समानता (parity) की दृष्टि से भी राहत दी जानी चाहिए।
- मेडिकल प्रमाण विवादास्पद (debatable)—death का असली कारण pneumonia हो सकता है, न कि suffocation।
- प्रमाणों की कमी, eyewitnesses (जैसे मृतिका के पति और सास) ने अभियोजन पक्ष का साथ नहीं दिया।
यह सब दलीलें अदालत ने अपने निर्णय में मुख्य आधार मानीं।
- अभियोजन का पक्ष:
- आरोप—Barwala ashram में महिलाओं को कमरे में बंद कर रखा गया था, और सफोकैशन (suffocation) के कारण उनकी मृत्यु हुई।
- लेकिन उच्च न्यायालय ने इस कथन को medical और गवाहों के विरोधाभासों के कारण उचित समीक्षा के लिए छोड़ा।(Navbharat Times, BKPK VIDEO, 24law.in, SA News Channel)
सारांश
28 अगस्त 2025 को पंजाब–हरियाणा उच्च न्यायालय की बेंच—न्यायमूर्ति गुरविंदर सिंह गिल और न्यायमूर्ति दीपिंदर सिंह नलवा—ने संत रामपाल जी महाराज की जीवन भर की सजा को अपील लंबित रहने तक निलंबित कर दिया। न्यायालय ने यह फैसला मानवता और न्यायसंगतता पर आधारित माना क्योंकि—मेडिकल साक्ष्य विवादित, परिवार का बयान अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं कर रहा, उम्र (लगभग 74 वर्ष), 10 वर्ष से अधिक जेल अवधि, और सह-आरोपी ज़मानत पर होने की समानता (parity) को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया। यह बरी (acquittal) नहीं है, पर न्याय की और एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम है, जिससे उन्हें न्यायिक तरीके से पुनर्विचार का अवसर मिलेगा।
निष्कर्ष
यह कहानी दर्शाती है कि कैसे सत्य और न्याय—भले ही संघर्षपूर्ण और समय ले—अंततः प्रकट होते हैं। संत रामपाल जी महाराज को लंबी जेल अवधि, विवादास्पद अभियोग, और कमजोर चिकित्सा-आधारों के बावजूद न्याय मिला। अदालत ने मानवीय, कानूनी और प्रमाणिक आधारों पर राहत दी है।