The Best Fluffy Pancakes recipe you will fall in love with. Full of tips and tricks to help you make the best pancakes.
श्री जम्भेश्वर जी को श्री विष्णु जी (सतगुण विष्णु) का अवतार माना गया है जो स्वयं श्री जम्भेश्वर जी ने अपनी अमृतवाणी में बताया है।
“बिश्नोई धर्म की भक्ति”
प्रश्नः- बिश्नोई धर्म में क्या भक्ति होती है? इसके प्रवर्तक कौन महापुरूष थे?
उत्तरः- बिश्नोई धर्म के प्रवर्तक श्री जम्भेश्वर जी महाराज हैं। उनका जन्म गाँव पीपासर (राजस्थान प्रांत में भारत वर्ष) में हुआ, इनका भक्तिस्थल गाँव = समराथल (राजस्थान) में है तथा निर्वाण स्थल गाँव लालासर (राजस्थान) के पास में है जिसे मुकाम कहते हैं। (मुकाम का अर्थ स्थान है।)
बिश्नोई धर्म में भक्तिः– श्री जम्भेश्वर जी को श्री विष्णु जी (सतगुण विष्णु) का अवतार माना गया है जो स्वयं श्री जम्भेश्वर जी ने अपनी अमृतवाणी में बताया है।
प्रमाण:– शब्द वाणी श्री जम्भेश्वर जी के शब्द सं. 94, 54, 67, 116
बिश्नोई धर्म में श्री विष्णु जी तथा श्री कृष्ण जी (जो श्री विष्णु सतगुण के अवतार थे) की भक्ति करने के लिए श्री जम्भेश्वर जी ने अपने मुख कमल से आदेश फरमाया है। बिश्नोई धर्म की भक्ति से स्वर्ग प्राप्ति (बैकुंठवास) ही अन्तिम लाभ है, यह भी अमृत वाणी में प्रमाण है।
प्रमाण:- शब्द वाणी सँख्या 13, 14, 15, 23, 25, 31, 33, 34, 64, 67,
78, 97, 98, 102, 119, 120
श्री विष्णु जी को संसार का मूल जड़ अर्थात् पालन करता कहा है।
“सतगुरू से नाम दीक्षा लेकर भक्ति करें”
वाणी शब्द सँख्या = 30
श्री जम्भेश्वर महाराज जी का आदेश है कि गुरू से नाम लेकर भक्ति करने से लाभ होगा, पहले गुरू की परख करो, गुरू बिन दान नहीं करना चाहिए, गुरू ही दान के लिए सुपात्र हैं, कुपात्रा को दान नहीं देना चाहिए।
प्रमाण:- शब्द वाणी संख्या:- 1, 23, 26, 29, 30, 35, 36, 37, 40, 41, 45,
77, 85, 86, 90, 91, 101, 107, 108, 120, 56
कुपात्र को दान देना व्यर्थ:-
विशेष विवरण = शब्द वाणी सँख्या 56 में है। जिसमें कहा है कि कुपात्र को दान देना तो ऐसा है जैसे अँधेरी रात्रि में चोर चोरी कर ले गया हो और सुपात्र को दान देना ऐसा है जैसे उपजाऊ खेत में बीज डाल दिया हो। बिश्नोई धर्म में तीर्थ पर जाना, वहाँ स्नानार्थ जाना, पिण्ड भराना (पिण्डोदक क्रिया) आदि-आदि पूजाओं का निषेध है।
प्रमाण:- शब्द वाणी सँख्या = 50
श्री जम्भेश्वर महाराज जी को परमात्मा (कबीर साहेब) जिन्दा के रूप में गाँव समराथल में मिले थे।
Jambheshwar Ji
प्रमाण:- शब्द वाणी सं. 50, 72, 90
वेद शास्त्रों में पूर्ण मोक्ष मार्ग नहीं है:- प्रमाण – शब्द वाणी सं. 59, 92
भक्ति बिना राज-पाट तथा सर्व महिमा व्यर्थ है:- प्रमाण वाणी सं. 60
श्री रामचन्द्र जी ने कुछ गलतियाँ की थी:- प्रमाण-शब्द वाणी सं. 62
गुरू को छोड़कर शिष्य का सम्मान (महिमा) करना गलत है:-
प्रमाण:- शब्द वाणी सं. 71
कबीर परमेश्वर जी ने भी कहा है:-
गुरू को तजै भजै जो आना (अन्य)। ता पशुआ को फोकट ज्ञाना।।
Jambheshwar Ji
बिश्नोई धर्म में स्वर्ग (बैकुंठ) को ही उत्तम (श्रेष्ठ) लोक माना है:-
प्रमाण शब्द वाणी सं. 73, 119, 94
“हरियाणा में हरि आऐंगे” – जम्भेश्वर जी की भविष्यवाणी
श्री जम्भेश्वर जी की शब्द वाणी सं. 102 में लिखा है:-
विष्णु-विष्णु भण अजर जरी जै, धर्म हुवै पापां छुटिजै।
Jambheshwar Ji
हरि पर हरि को नाम जपीजै, हिरयालो हरि आण हरूं, हरि नारायण देव नरूं।
आशा सास निरास भइलो, पाइलो मोक्ष दवार खिंणू।।
भावार्थ:- इसमें कहा है कि “हिरयालो हरि आण हरुं” इसमें “हरियालो” शब्द का अर्थ हरियाणा है। उस समय हरियाणा प्रांत नहीं था। इसलिये “हरियालो” लिख दिया गया है। इस पंक्ति का अर्थ कि “हरि अर्थात् परमात्मा हरियालो यानि हरियाणा प्रान्त में आऐंगे।” परमात्मा जिसे नारायण कहते हैं। वे नर अर्थात् साधारण मनुष्य का रूप धारण करके आऐंगे। वैसे नारायण का अर्थ है जल पर प्रकट होने वाला, वह केवल परमेश्वर ही है। इसलिए परमात्मा को नारायण कहा जाता है। उनके द्वारा बताए ज्ञान से निराश भक्तों की आशा जागेगी और मोक्ष का द्वार प्राप्त होगा। भावार्थ है कि शास्त्रा विरूद्ध साधना करने से साधक भक्ति करके भी कोई लाभ प्राप्त नहीं कर रहे थे, परमात्मा हरियाणा में आऐंगे। उनके द्वारा बताई शास्त्रोक्त भक्ति की साधना से मोक्ष का द्वार प्राप्त होगा तथा निराशों को आशा होगी कि अब यहाँ भी सुख मिलेगा तथा प्रलोक में भी तथा मोक्ष प्राप्ति अवश्य होगी।
वाणी:- हरि पर हीरे को नाम उपीजै।
यह वाणी इस प्रकार पढ़ें:-
हर पल हरि को नाम जपीजै।
“श्री जम्भेश्वर जी के भी कोई गुरू थे” (पहले लिख दिया है।)
प्रमाण:- शब्द वाणी सं. 90, 91, 92
शब्द सं. 90 की गुरू सम्बन्धी वाणी गुरू आसण समराथले।
कहै सतगुरू भूल मत जाइयों पड़ोला अमै दोजखे।
शब्द सं. 91 से कुछ अंश:-
Jambheshwar Ji
मेरे गुरू जो दीन्ही शिक्षा, सर्व आलिडगंण फेरी दीक्षा।
सत सत भाखत गुरू रायों जरा मरण भय भागु।।
हरि पर हरि को नाम जपीजै, हिरयालो हरि आण हरूं, हरि नारायण देव नरूं।
Jambheshwar Ji
आशा सास निरास भइलो, पाइलो मोक्ष दवार खिंणू।।
भावार्थ:- इसमें कहा है कि “हिरयालो हरि आण हरुं” इसमें “हरियालो” शब्द का अर्थ हरियाणा है। उस समय हरियाणा प्रांत नहीं था। इसलिये “हरियालो” लिख दिया गया है। इस पंक्ति का अर्थ कि “हरि अर्थात् परमात्मा हरियालो यानि हरियाणा प्रान्त में आऐंगे।” परमात्मा जिसे नारायण कहते हैं। वे नर अर्थात् साधारण मनुष्य का रूप धारण करके आऐंगे। वैसे नारायण का अर्थ है जल पर प्रकट होने वाला, वह केवल परमेश्वर ही है। इसलिए परमात्मा को नारायण कहा जाता है। उनके द्वारा बताए ज्ञान से निराश भक्तों की आशा जागेगी और मोक्ष का द्वार प्राप्त होगा।
भावार्थ है कि शास्त्रविरूद्ध साधना करने से साधक भक्ति करके भी कोई लाभ प्राप्त नहीं कर रहे थे, परमात्मा हरियाणा में आऐंगे। उनके द्वारा बताई शास्त्रोक्त भक्ति की साधना से मोक्ष का द्वार प्राप्त होगा तथा निराशों को आशा होगी कि अब यहाँ भी सुख मिलेगा तथा प्रलोक में भी तथा मोक्ष प्राप्ति अवश्य होगी।
वाणी:- हरि पर हीरे को नाम उपीजै। यह वाणी इस प्रकार पढ़ें:-
हर पल हरि को नाम जपीजै।
शब्द सं. 90 की गुरू सम्बन्धी वाणी गुरू आसण समराथले।
कहै सतगुरू भूल मत जाइयों पड़ोला अमै दोजखे।
शब्द सं. 91 से कुछ अंश:-
मेरे गुरू जो दीन्ही शिक्षा, सर्व आलिडगंण फेरी दीक्षा।
Jambheshwar Ji
सत सत भाखत गुरू रायों जरा मरण भय भा।।