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रक्षाबंधन का वास्तविक अर्थ
रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जो भाई-बहन के बीच प्रेम और रक्षा के वादे का प्रतीक है। बहनें अपने भाई की खुशी से प्रतीक्षा करती हैं, लेकिन एक ही पल में सारी खुशी गम में बदल सकती है। यह त्यौहार एक धागे का बंधन है, जहाँ भाई अपनी बहन की जीवन भर रक्षा करने का वादा करता है। लेकिन यहाँ एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है: क्या कोई ऐसा भाई अपनी बहन की रक्षा कर सकता है, जिसे खुद नहीं पता कि अगले पल उसके साथ क्या होने वाला है?
रक्षाबंधन की सीमाएं
एक प्रचलित कहानी में, एक बहन अपने भाई का बेसब्री से इंतजार कर रही थी, लेकिन उसे खबर मिली कि उसका भाई एक दुर्घटना में मारा गया है। उसकी सारी खुशी पल भर में शोक में बदल गई। यह घटना दिखाती है कि एक भाई का रक्षा का वचन कहाँ तक संभव है।
हर साल, रक्षाबंधन पर एक-दूसरे की रक्षा का वचन देने के बाद भी कितने ही भाई-बहन मृत्यु का शिकार हो जाते हैं। अगर बहन द्वारा बाँधे गए धागे में इतनी शक्ति होती, तो:
- सीमा पर देश की रक्षा करने वाला कोई भी भाई शहीद नहीं होता।
- किसी माँ की कोख कभी न उजड़ती।
- किसी भाई की दुर्घटना में मौत न होती।
जब कोई भाई अपनी बहन की रक्षा का वादा करता है, तो उस समय वह कहाँ होता है जब किसी बहन की इज्जत को कोई लूट रहा होता है? अगर भाई के वचन में इतनी ताकत होती, तो वह अपनी बहन को विधवा होने से क्यों नहीं बचा पाता?
सच्ची रक्षा केवल परमात्मा ही कर सकते हैं
मानव की इतनी औकात नहीं है कि वह किसी की भी रक्षा कर सके। सच्चे अर्थों में केवल परमात्मा ही हमारी रक्षा कर सकते हैं। परमात्मा के वचन में, उनके नाम में, और उनके आशीर्वाद में ही असली शक्ति है। यह परमात्मा द्वारा दिया गया रक्षासूत्र ही है जो हमें हर विपदा से पल-पल बचाता है।
हमारे सांसारिक रिश्ते, जो संस्कारों के कारण बने हैं, उनमें एक विशेष प्रकार का मोह होता है। इस मोह से मुक्ति पाने का एकमात्र रास्ता सतभक्ति है। जो लोग लोक कथाओं पर आधारित त्यौहारों और भक्ति में लगे हुए हैं, वे संसार की दुर्दशा देख ही रहे हैं।
सच्ची भक्ति के मार्ग पर केवल सतगुरु ही ला सकते हैं।
आबत सब जग देखिया, जात ना देखी कोई
आबत जात लखई सोई जाको गुरुमत होई।।
इसका अर्थ है कि संसार में हर कोई जन्म लेते हुए दिखता है, लेकिन मृत्यु के बाद उसकी क्या दशा होती है, यह कोई नहीं जानता। जन्म और मृत्यु के इस रहस्य को वही समझ सकता है, जिसे गुरु से आत्मज्ञान प्राप्त हुआ हो।
अगर आप जानना चाहते हैं कि वह पूर्ण परमात्मा कौन है और सच्चे सतगुरु के क्या लक्षण हैं, तो आप “ज्ञान गंगा” पुस्तक पढ़ सकते हैं।