सतलोक की यात्रा: एक आध्यात्मिक मार्ग

यह वीडियो संत रामपाल जी महाराज द्वारा सतलोक की यात्रा और उसके लिए भक्ति मार्ग के महत्व को समझाता है। यह यात्रा एक व्यवस्थित आध्यात्मिक प्रक्रिया के रूप में प्रस्तुत की गई है, जिसमें गुरु की भूमिका, मंत्रों का महत्व और भक्ति के विभिन्न चरणों को समझाया गया है।

भक्ति मार्ग और मंत्रों का महत्व

वीडियो में बताया गया है कि सतलोक की यात्रा के लिए सबसे पहले सात मंत्रों की दीक्षा दी जाती है। इन मंत्रों में गणेश जी, सावित्री-ब्रह्मा जी, विष्णु-लक्ष्मी जी, शिव-पार्वती जी और दुर्गा जी के मंत्र शामिल हैं। [00:06]

इन मंत्रों के जाप से न केवल अगला जीवन सुधरता है, बल्कि इस जीवन में भी स्वास्थ्य और आयु में वृद्धि होती है। [00:46]

सतलोक तक की यात्रा के चरण

  1. ‘नो डू सर्टिफिकेट’ प्राप्त करना: सतलोक की यात्रा के लिए भक्तों को पहले त्रिकुटी तक पहुँचना होता है, जिसे एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के समान बताया गया है। [01:37] इस त्रिकुटी तक पहुँचने के लिए भक्तों को विभिन्न देवी-देवताओं से “नो डू सर्टिफिकेट” प्राप्त करना होता है, जो उनकी भक्ति के आधार पर मिलता है। [05:34]
  2. त्रिकुटी और सतनाम जाप: त्रिकुटी पर पहुँचने के बाद, सतनाम का जाप किया जाता है। इस स्थान पर काल भक्तों को भ्रमित करने की कोशिश करता है, लेकिन गुरु की कृपा से भक्त बच जाते हैं। [07:03]
  3. धर्मराज के दरबार: इसके बाद, गुरु भक्त के साथ धर्मराज के दरबार में जाते हैं, जहाँ उसके कर्मों का हिसाब होता है। यहाँ गुरु की उपस्थिति से भक्त को आगे की यात्रा की अनुमति मिल जाती है। [11:11]
  4. परब्रह्म के लोक से गुजरना: इसके बाद भक्त परब्रह्म के लोक से गुजरते हैं, जहाँ सतनाम के दूसरे मंत्र का उपयोग होता है। [13:05]
  5. सतलोक में प्रवेश: अंत में, भक्त भंवर गुफा से होकर बारहवें द्वार को पार करते हैं और सतलोक पहुँचते हैं, जहाँ से जन्म-मरण के चक्र में वापस नहीं आना पड़ता। [14:06]

संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि वेदों और गीता के सही अर्थ को समझना मोक्ष का सही मार्ग दिखाता है। [17:14] यह वीडियो सतलोक की यात्रा को एक व्यवस्थित और आध्यात्मिक प्रक्रिया के रूप में प्रस्तुत करता है।

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