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देखिये कैसे और क्यूँ सहजाद खान ने मुस्लिम छोड़ अपनाया ‘मानवता धर्म’ को
यह वीडियो डॉ. सहजाद खान का है, जिसमें वह स्वयं बता रहे हैं कि संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा से उन्होंने ‘मानवता धर्म’ को अपनाया। वे बताते हैं कि क्यों उन्हें इस्लाम से ‘मानवता धर्म’ में लौटना ही सही लगा।
वीडियो में शहजाद खान, जो पहले मोहम्मद शहजाद खान के नाम से जाने जाते थे, बताते हैं कि उनका जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ और वह नमाज, रोजे, और ईद-बकरीद जैसे रिवाजों का पालन करते थे। अल्लाह ताला के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने के लिए उन्होंने बहुत शोध किया और कई धार्मिक स्थलों की यात्रा की, जैसे अजमेर शरीफ और अलीगढ़ दरगाह। [02:17]
लेकिन उन्हें वहां कोई शांति नहीं मिली, क्योंकि वहां मांस खाया जाता था और पत्थरों की पूजा की जाती थी। उन्होंने अपने मौलवी से भी सवाल पूछे, लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। उनका हर चीज से मोहभंग हो गया, और अंत में उन्हें ‘मानवता धर्म’ को अपनाना ही सही लगा।
एक दिन, उन्होंने ‘भक्ति सौदागरों का संदेश’ नामक एक किताब पढ़ी, जिसमें कुरान शरीफ से संबंधित बातों ने उन्हें गहराई से सोचने पर मजबूर कर दिया। [05:20] इसके बाद, उन्होंने संत रामपाल जी महाराज के बारे में जाना और उनसे नाम उपदेश लिया। इस कदम ने उनका जीवन पूरी तरह से बदल दिया और उन्होंने मांस खाना छोड़ दिया। [06:48]
- डॉ. शहजाद खान का डॉ. जाकिर नाइक को करारा जवाब
40,000 हिंदुओं को मुसलमान बनाने का दावा करने वाले डॉ. जाकिर नाइक को डॉ. शहजाद खान ने करारा जवाब दिया है। पहली बार एक मुस्लिम ने बताया है कि सच्चा मुसलमान कौन है?
विश्व प्रसिद्ध वक्ता और IRF (इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन) के प्रमुख डॉ. जाकिर नाइक की खुली चुनौती को स्वीकार करने के बाद जगतगुरु रामपाल जी महाराज मुस्लिम लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गए। जितनी बेबाकी से डॉ. जाकिर नाइक ने चुनौती दी थी, उतनी ही सटीकता और गहन ज्ञान से संत रामपाल जी महाराज ने उन्हें निरुत्तर कर दिया।
डॉ. शहजाद खान कहते हैं कि कुरान में भी कबीर का उल्लेख है और अल्लाह ताला साकार हैं, निराकार नहीं। [09:55] वे मुस्लिम भाइयों से अपील करते हैं कि वे मांस खाना छोड़ दें, क्योंकि यह एक पाप है और अल्लाह की राह में अपनी बुराइयों को कुर्बान करें, न कि जानवरों को। [12:19] उनका कहना है कि सच्ची भक्ति और तत्वदर्शी संत के मार्गदर्शन से ही आत्मा की मुक्ति संभव है, न कि नमाज, रोजे या जानवरों की कुर्बानी से। [32:53]
यह सोचना गलत होगा कि यह किसी हिंदू या अन्य धर्म की साजिश है। कुछ समय के लिए खुद को किसी भी धर्म, जाति या संप्रदाय से ऊपर उठाकर सुनें, देखें और समझें। इसके बाद सोचें कि क्या वास्तव में धर्म के नाम पर हमारे जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
बात हिंदू या मुसलमान की नहीं, बात है आपके और आपके चाहने वालों के जीवन की। किसी भी मस्जिद या मुल्ला-काजी के सामने अपने जीवन को समर्पित करने से पहले उन बिंदुओं की गहराई से जांच करें, जिनको डॉ. शहजाद खान ने दुनिया के सामने सच लाने की हिम्मत की है।
उन्होंने लोगों से संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने का आग्रह किया, क्योंकि वही सच्चे संत हैं जो मोक्ष का मार्ग दिखा सकते हैं। [33:37]