रहस्य : जानिये संसार में क्यों नही होती ब्रह्मा की पुजा ?


माता (दुर्गा) द्वारा ब्रह्मा को शाप देना

जब ब्रह्मा अपने पिता ब्रह्म (ज्योति निरंजन) की तलाश करके वापस आए, तो माता दुर्गा ने उनसे पूछा, “क्या तुम्हें अपने पिता के दर्शन हुए?”

ब्रह्मा ने झूठ बोलते हुए कहा, “हाँ, मुझे पिता के दर्शन हुए हैं।”

दुर्गा ने गवाही मांगी। ब्रह्मा ने कहा, “इन दोनों (गायत्री और पुहपवति) के सामने साक्षात्कार हुआ है।”

तब देवी ने उन दोनों लड़कियों से पूछा, “क्या तुम्हारे सामने ब्रह्म का साक्षात्कार हुआ है?”

दोनों ने भी झूठ बोला और कहा, “हाँ, हमने अपनी आँखों से देखा है।”

भवानी (प्रकृति/अष्टंगी) को इस बात पर संदेह हुआ, क्योंकि ब्रह्म ने उनसे कहा था कि वह किसी को दर्शन नहीं देंगे। तब अष्टंगी ने ध्यान लगाकर काल/ज्योति निरंजन से पूछा, “यह क्या कहानी है?”

ज्योति निरंजन ने कहा, “ये तीनों झूठ बोल रहे हैं।”

यह सुनकर माता दुर्गा ने ब्रह्मा से कहा, “तुम झूठ बोल रहे हो! आकाशवाणी हुई है कि तुम्हें कोई दर्शन नहीं हुए।”

ब्रह्मा ने शर्मिंदा होकर सच बताया, “माता जी, मैं शपथ खाकर पिता की तलाश करने गया था, लेकिन दर्शन नहीं हुए। आपके पास आने में शर्म लग रही थी, इसलिए हमने झूठ बोल दिया।”

तब माता (दुर्गा) ने कहा, “अब मैं तुम्हें शाप देती हूँ।”


विभिन्न शाप और उनके परिणाम

  • ब्रह्मा को शाप: “तेरी पूजा जग में नहीं होगी। आगे चलकर तेरे वंशज बहुत पाखंड करेंगे। वे झूठी बातें बनाकर दुनिया को ठगेंगे। ऊपर से तो कर्मकांड करते दिखाई देंगे, लेकिन अंदर से विकारों में लिप्त होंगे। कथा-पुराणों को पढ़कर सुनाएंगे, लेकिन उन्हें खुद नहीं पता होगा कि सद्ग्रंथों में वास्तविकता क्या है। फिर भी मान और धन के लिए गुरु बनकर अनुयायियों को लोकवेद (शास्त्रों के विरुद्ध दंतकथाएं) सुनाएंगे। देवी-देवताओं की पूजा करके और करवाकर, तथा दूसरों की निंदा करके वे एक के बाद एक कष्ट भोगेंगे। वे अपने अनुयायियों को परमार्थ का मार्ग नहीं बताएंगे और दक्षिणा के लिए जगत को गुमराह करते रहेंगे। अपने आप को सबसे श्रेष्ठ मानेंगे और दूसरों को नीचा समझेंगे।”

यह सुनकर ब्रह्मा मूर्छित होकर जमीन पर गिर गए। बहुत समय बाद उन्हें होश आया।

  • गायत्री को शाप: “तेरे कई सांड पति होंगे। तू मृत्युलोक में गाय बनेगी।”
  • पुहपवति को शाप: “तेरी जगह गंदगी में होगी। तेरे फूलों को कोई पूजा में नहीं लाएगा। इस झूठी गवाही के कारण तुझे यह नरक भोगना होगा। तेरा नाम केवड़ा-केतकी होगा।” (हरियाणा में इसे कुसोंधी कहते हैं, जो गंदगी वाली जगहों पर उगती है।)

इस तरह, तीनों को शाप देकर माता भवानी बहुत पछताईं।

विशेष: इसी तरह, जीव पहले बिना सोचे-समझे मन (काल निरंजन) के प्रभाव से गलत कार्य कर देता है, लेकिन जब आत्मा (सतपुरुष का अंश) के प्रभाव से उसे ज्ञान होता है, तो उसे बाद में पछताना पड़ता है। यह ठीक वैसा ही है जैसे माता-पिता अपने बच्चों को छोटी-सी गलती पर क्रोधवश डांटते हैं, लेकिन बाद में बहुत पछताते हैं। यह प्रक्रिया मन (काल-निरंजन) के प्रभाव से सभी जीवों में चलती रहती है।


ब्रह्म (काल) द्वारा दुर्गा को शाप

यहाँ एक बात विशेष है कि निरंजन (काल-ब्रह्म) ने भी अपना कानून बना रखा है कि यदि कोई जीव किसी कमजोर जीव को सताएगा, तो उसे उसका बदला देना पड़ेगा।

जब आदि भवानी (प्रकृति, अष्टंगी) ने ब्रह्मा, गायत्री और पुहपवति को शाप दिया, तो अलख निरंजन (ब्रह्म-काल) ने कहा, “हे भवानी, यह तुमने अच्छा नहीं किया। अब मैं तुम्हें शाप देता हूँ कि द्वापर युग में तेरे भी पाँच पति होंगे।” (द्रोपदी ही आदिमाया का अवतार हुई थी।)

जब आदि माया ने यह आकाशवाणी सुनी, तो उन्होंने कहा, “हे ज्योति निरंजन (काल), मैं तुम्हारे वश में हूँ। जो चाहो सो कर लो।”

Share your love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *