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जो कहते हैं कि “किसने देखा है भगवान?”, हाँ, “हमने देखा भगवान”
जैसा कि वेदों में परमात्मा की महिमा का वर्णन है कि वह परमात्मा ज्ञान उपदेश देने की इच्छा से अपनी पुण्यात्माओं को आकर मिलता है।
परमेश्वर कबीर साहेब जी अपने ऋतधाम (सतलोक) से चलकर आते हैं और अपनी प्यारी आत्माओं से मिलते हैं, उन्हें नाम उपदेश देकर सतलोक दिखाकर गवाह बनाते हैं। फिर वह संत/भगत परमात्मा की आँखों देखी महिमा को शब्दों, वाणियों और दोहों में लिपिबद्ध करते हैं, ताकि आने वाले भक्ति युग (मोक्ष युग) में परमात्मा के बच्चे परमात्मा को आसानी से पहचान सकें और सच्ची भक्ति कर सकें।
परमात्मा कलयुग में जिन संतों को आकर मिले और उन्हें सतलोक दिखाया, वे इस प्रकार हैं:
- स्वामी रामानंद जी
- धर्मदास जी
- नानक जी
- गरीबदास जी
- दादू जी
- घीसा जी
- मलूक दास जी आदि।
इन सभी संतों ने परमात्मा को सतलोक में देखा और उनकी महिमा गाई। उन्होंने कहा कि काशी वाला कबीर जुलाहा ही पूर्ण परमात्मा (सतपुरुष/कविर्देव) है। वह एक से दो रूप बनाकर चारों युगों में पृथ्वी पर आता है और अपना तत्वज्ञान देकर जाता है। सभी संतों ने आँखों देखे प्रमाण के साथ काशी वाले कबीर जुलाहे को ही पूर्ण परमात्मा बताया है।
हम सुलतानी नानक तारै, दादू को उपदेश दिया।
जात जुलाहा भेद न पाया, काशी माहे कबीर हुआ॥
-गरीबदास जी
सतगुरु पुरुष कबीर हैं, चारों युग प्रवान।
झूठे गुरुवा मर गए, हो गए भूत मसान॥
-गरीबदास जी
बोलत रामानन्द जी, सुनो कबीर करतार।
गरीबदास सब रूप में, तुमहीं बोलनहार॥
-स्वामी रामानंद जी/गरीबदास जी
जिन मोकूं निज नाम दिया, सोइ सतगुरु हमार।
दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजनहार॥
-दादू दयाल जी
और संत सब कूप हैं, केते झरिता नीर।
दादू अगम अपार है, दरिया सत्य कबीर॥
-दादू दयाल जी
वाणी अरबों खरवो, ग्रन्थ कोटी हजार।
करता पुरुष कबीर, रहै नाभे विचार॥
-नाभादास जी
साहेब कबीर समर्थ है, आदी अन्त सर्व काल।
ज्ञान गम्या से दे दिया, कहै रैदास दयाल॥
-रैदास जी
नौ नाथ चौरासी सिद्धा, इनका अन्धा ज्ञान।
अविचल ज्ञान कबीर का, यो गति विरला जान॥
-गोरखनाथ जी
खालक आदम सिरजिआ आलम बडा कबीर॥
काइम दाइम कुदरती सिर पीरा दे पीर॥
सयदे (सजदे) करे खुदाई नूं आलम बडा कबीर॥
-नानक जी
हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदीगार॥
नानक नीच कहै बिचार, ये धाणक रुप रहा करतार॥
-नानक जी
बाजा बाजा रहित का, परा नगर में शोर।
सतगुरु खसम कबीर है, नजर न आवै और॥
-धर्मदास जी
सन्त अनेक संसार में, सतगुरु सत्य कबीर।
जगजीवन आप कहत है, सुरती निरती के तीर॥
-जगजीवन जी
तुम स्वामी मै बाल बुद्धि, भर्म कर्म किये नाश।
कहै रामानन्द निज ब्रह्म तुम, हमरा ढृढ़ विश्वास।।
-रामानंद जी
चार दाग से सतगुरु न्यारे, अजरो अमर शरीर।
दास मलूक सलूक कहत हैं, खोजो कसम कबीर॥
जपो रे मन सतगुरु नाम कबीर।
जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर॥
-मलूक दास जी
हम ही अलख अल्लाह है, कुतुब गोस और पीर।
गरीबदास खालिक धणी, हमरा नाम कबीर॥
-परमेश्वर कबीर साहेब जी
वेदों और गीता में प्रमाण
कुल मालिक एक हैं, और वह मानव सदृश हैं। उसी का नाम कबीर साहिब (कविर्देव) है। सतपुरुष, अकाल मूर्ति, परम अक्षर पुरुष, वासुदेव (सर्वगतम ब्रह्म), पूर्ण ब्रह्म, अल्लाहु अकबर, सत्य कबीर, हक्का कबीर आदि उसी पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के उपमात्मक नाम हैं। उस पूर्ण परमात्मा का वास्तविक नाम कबीर साहिब (कविर्देव) है, इसलिए इनका नाम वेदों और कुरानों में वर्णित है।
चारों वेदों में भी कविर्देव (कबीर साहिब) नाम से पूर्ण परमात्मा की महिमा बताई गई है:
- यजुर्वेद (अध्याय 1 श्लोक 15, अध्याय 5 श्लोक 1 और 32, अध्याय 29 श्लोक 25, अध्याय 40 श्लोक 8) में प्रमाण है कि परमात्मा सशरीर और आकार में है। वह कबीर साहिब (कविर्देव) है, जो पाप कर्म काटने वाला, बंदी छोड़ है और सतलोक में रहता है।
- अथर्ववेद (कांड 4 अनुवाक 1 श्लोक 1 से 7) में स्पष्ट है कि सभी ब्रह्मांडों का रचयिता, काल (ब्रह्म) और प्रकृति देवी (दुर्गा) को भी उत्पन्न करने वाला, वास्तव में अविनाशी, जगतगुरु, और सत्य भक्ति करने वाले भक्त को सतलोक ले जाने वाला स्वयं कबीर साहिब (कविर्देव) हैं।
गीताजी में प्रमाण:
- अध्याय 18 श्लोक 62 से 66 और अध्याय 8 श्लोक 8, 9, 10, 20, 21, 22 में प्रमाण है कि उस परमात्मा की शरण में जाकर पूर्ण छुटकारा हो जाएगा, यानी जन्म-मृत्यु से पूर्ण मुक्ति मिल जाएगी। मेरा (काल भगवान का) पूज्य देव भी वही पूर्ण परमात्मा हैं।
- गीताजी अध्याय 15 श्लोक 16, 17 के अनुसार, भगवान तीन हैं:
- क्षर पुरुष (ब्रह्म)
- अक्षर पुरुष (परब्रह्म)
- परम अक्षर पुरुष (निःअक्षर-पूर्ण ब्रह्म/कविर्देव)
क्षर पुरुष (काल/ब्रह्म) नाशवान है। अक्षर पुरुष (परब्रह्म) काल से ज्यादा स्थायी है, लेकिन वास्तव में अविनाशी नहीं है। परम अक्षर पुरुष (पूर्ण ब्रह्म) को वास्तव में अविनाशी परमेश्वर परमात्मा कहा जाता है, जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण-पोषण करता है।
(प्रमाण: गीताजी अध्याय 15, श्लोक 16, 17, 18)
कुरान शरीफ में प्रमाण:
- सूरत फुर्कानी नं. 25, आयत 52 से 59 तक:
- आयत 52: “फला तुतिअल् काफिरन् व जाहिदहुम बिही जिहादन् कबीरा” (कबीरन्)। इसका अर्थ है: “हे पैगंबर! आप काफिरों का कहा न मानकर इस कुरान के ज्ञान पर अटल रहना कि कबीर ही पूर्ण प्रभु है तथा कबीर अल्लाह के लिए संघर्ष करना।”
- आयत 58: अल्लाह कह रहा है कि “इबादह कबीरा”, जिसका अर्थ है कि वह कबीर अल्लाह (कविर्देव) ही पूजा के योग्य है।
पवित्र बाइबल के ‘उत्पत्ति ग्रंथ’ के अध्याय 1:20 – 2:5 में प्रमाण है कि परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया। नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की। परमेश्वर ने छह दिन में सृष्टि रचकर सातवें दिन तख्त पर जा विराजा (सतलोक के सिंहासन पर), यानी विश्राम किया।
उपरोक्त सभी धर्मों (हिंदू, मुसलमान) के पवित्र शास्त्रों ने मिलकर यह प्रमाणित कर दिया है कि सर्व सृष्टि रचयिता, सर्व पाप विनाशक, सर्व शक्तिमान, अविनाशी परमात्मा मानव सदृश शरीर में और आकार में है, तथा सतलोक में रहता है। उसका नाम कबीर है, उसी को अल्लाहु अकबिरु भी कहते हैं। इन सभी धर्मग्रंथों और प्रत्यक्षदर्शी संतों की अमृतवाणी से यह सिद्ध होता है कि कबीर परमेश्वर कुल का मालिक एक है।
गरीब, समझा है तो सिर धर पाँव, बहुर नहीं रे ऐसा दाँव॥
इसका भावार्थ है कि यदि आप तत्वज्ञान को समझ गए हो, तो सिर पर पाँव रखकर यानी अतिशीघ्रता से सदगुरु रामपाल जी महाराज से नाम उपदेश लेकर अपना कल्याण करवाओ। यह सुअवसर फिर प्राप्त नहीं होगा। क्योंकि यह बिचली पीढ़ी (भक्ति युग) का समय है, और आपको अनमोल मानव शरीर और तत्वदर्शी संत का प्रकट होना एक साथ मिला है।
यदि अब भी भक्ति मार्ग पर नहीं लगोगे तो उसके विषय में कहा गया है:
“यह संसार समझता नाहीं, कहंदा शाम दुपहरे नूं।
गरीबदास ये वक्त जात है, रोवोगे इस पहरे नूं॥”
संत गरीबदास जी महाराज कह रहे हैं कि इतने प्रमाण मिलने के बाद भी सतसाधना पूर्ण संत के बताए अनुसार नहीं करोगे, तो यह अनमोल मानव शरीर और बिचली पीढ़ी का भक्ति युग का समय हाथ से निकल जाएगा। फिर इस समय को याद करके रोओगे और बहुत पछतावा करोगे।
“आच्छे दिन पाछे गये, सतगुरु से किया ना हेत।
अब पछतावा क्या करे, जब चिड़िया चुग गई खेत”॥
सर्व मानव समाज से करबद्ध प्रार्थना है कि पूर्ण संत रामपाल जी महाराज को पहचानें और अपना व अपने परिवार का कल्याण करवाएं। अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को भी बताएं तथा पूर्ण मोक्ष प्राप्त करें। स्वर्ण युग प्रारंभ हो चुका है। लाखों पुण्यात्माएँ संत रामपाल जी को पहचान कर सत्य भक्ति कर रही हैं और वे अति सुखी हो गए हैं। सर्व विकार छोड़कर निर्मल जीवन जी रहे हैं।
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की जय हो॥