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जागो और पाखंडी धर्मगुरुओं से सवाल करो
यह लेख लोगों से पाखंडी धर्मगुरुओं और मीडिया चैनलों द्वारा फैलाए गए अज्ञान पर सवाल उठाने का आग्रह करता है। इसमें कई धार्मिक ग्रंथों और ऐतिहासिक घटनाओं का हवाला देते हुए यह सिद्ध करने का प्रयास किया गया है कि ये धर्मगुरु वास्तविक आध्यात्मिक ज्ञान से अनभिज्ञ हैं।
धर्मग्रंथों पर आधारित प्रश्न
लेख में पाखंडी धर्मगुरुओं से कुछ तीखे सवाल पूछे गए हैं:
- भागवत कथा: द्वापर युग में वेदव्यास और अन्य ऋषियों ने राजा परीक्षित को यह कहकर भागवत कथा सुनाने से मना कर दिया था कि वे इसके अधिकारी नहीं हैं। तो फिर इस कलियुग में इन धर्मगुरुओं को भागवत और रामायण का पाठ करने का अधिकार किसने दिया?
- त्रिदेवों की वास्तविकता: जब ब्रह्मा, विष्णु और महेश स्वयं कहते हैं कि उनका जन्म और मृत्यु होता है और वे पूर्ण भगवान नहीं हैं (श्री मद देवी भागवत पुराण, स्कंध 3, अध्याय 6, पृष्ठ 123), तो फिर पूर्ण परमात्मा कौन है, कैसा है, कहाँ रहता है और कैसे मिलता है?
- व्रत और पूजा: जब श्रीमद्भगवद्गीता मना करती है कि व्रत करने वालों, श्राद्ध निकालने वालों और देवी-देवताओं की पूजा करने वालों को न कोई सुख मिलता है और न ही मृत्यु के बाद मोक्ष, तो फिर ये धर्मगुरु ये सब क्यों करवाते हैं?
- देवी-देवताओं की बेबसी: जिन 33 करोड़ देवी-देवताओं को लंका के राजा रावण ने अपनी कैद में डाल रखा था, उन बेबस देवताओं की पूजा सदियों से क्यों करवाई जा रही है?
- स्वर्ग की वास्तविकता: जिस स्वर्ग के राजा इंद्र ने रावण के बेटे मेघनाद से अपनी पुत्री का विवाह करके अपने प्राण बचाए थे, क्या वही स्वर्ग मृत्यु के बाद प्राप्त करने योग्य है?
- राम और कृष्ण:
- जब दशरथ पुत्र राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था, तो सतयुग में राम कौन था?
- जब श्री कृष्ण का जन्म 5500 वर्ष पहले द्वापर युग में हुआ था, तो फिर वे सतयुग और त्रेतायुग के लोगों के लिए पूर्ण भगवान कैसे हुए?
- वेदों का ज्ञान: ये धर्मगुरु कहते हैं कि वेदों में भगवान की महिमा है, तो फिर वेदों में कबीर (कविर्देव) के अलावा 33 करोड़ देवी-देवताओं, राम, कृष्ण, ब्रह्मा, विष्णु, महेश या दुर्गा का नाम क्यों नहीं है?
- काल का रहस्य: गीता अध्याय 11 के श्लोक 32 में श्री कृष्ण स्वयं कहते हैं कि “अर्जुन, मैं काल हूँ और सबको खाने आया हूँ।” फिर भी ये पाखंडी धर्मगुरु उन्हें जबरदस्ती भगवान क्यों बना रहे हैं?
संत रामपाल जी महाराज और सत्य की पहचान
लेख में कहा गया है कि इन धर्मगुरुओं के पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं है। इसी वजह से उनकी संत रामपाल जी महाराज के सामने आकर ज्ञान चर्चा करने की हिम्मत नहीं होती है।
लेख लोगों से आग्रह करता है कि वे इन पाखंडियों के जाल में न फँसें, क्योंकि ये खुद भी नरक में जाएंगे और अपने अनुयायियों को भी साथ लेकर जाएंगे।
यदि संत रामपाल जी को जेल में देखकर किसी के मन में शंका हो, तो उन्हें याद रखना चाहिए कि:
- त्रेता युग में राम को भी 14 वर्ष तक जेल (वनवास) काटनी पड़ी थी।
- सीता जी को 12 वर्ष तक रावण की जेल में रहना पड़ा था।
- श्री कृष्ण का जन्म ही जेल में हुआ था।
लेख में इन घटनाओं को उनकी लीला बताया गया है और कहा गया है कि आने वाले समय में संत रामपाल जी का भी इतिहास बन जाएगा।
लेख का निष्कर्ष है कि भगवान कोई सींग लगाकर नहीं आएगा कि वह अलग से दिखाई दे। उसे पहचानने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है, और आज लोगों को शिक्षित किया जा रहा है ताकि वे सत्य को पहचान सकें।