जानिये मृत्यु और बुढ़ापा से कैसें बचा जा सकता है ?


मृत्यु और बुढ़ापा: काल के जाल से मुक्ति

इस संसार में लोगों को सबसे ज्यादा डर मृत्यु और बुढ़ापे से लगता है। वे हमेशा के लिए अमर रहना और अपनी जवानी को बनाए रखना चाहते हैं। मृत्यु और बुढ़ापे से बचने के लिए लोग योग, कसरत, ध्यान, समाधि, और अच्छी जीवनशैली अपनाते हैं। वैज्ञानिक भी इस दिशा में लगातार खोज कर रहे हैं, लेकिन सभी प्रयास असफल होते हैं, क्योंकि अंततः हर किसी को मरना ही पड़ता है।

इस संसार के लोगों को अज्ञान के कारण यह नहीं पता कि यह संसार काल (मृत्यु) का है और काल ही इसका राजा है। काल के इस लोक में हम अमर नहीं हो सकते। जिसने भी यहाँ जन्म लिया है, उसे समय के साथ बुढ़ापा और मृत्यु का सामना करना ही पड़ता है।

भोले लोगों, हम पहले सच्चे परमात्मा कबीर साहेब के अमर लोक में रहते थे, जिसे सतलोक भी कहते हैं। उस अमरलोक में हम अमर थे; वहाँ न तो मृत्यु होती थी और न ही बुढ़ापा आता था।

इस काल संसार का मालिक काल पुरुष, हमें परमात्मा कबीर के अमरलोक से छल से ठगकर लाया है और हमें अपने 21 ब्रह्मांडों में कैद कर रखा है। हमें उस अमरलोक की ही आदत पड़ी हुई है, जहाँ हम कभी मरते नहीं थे और न ही बूढ़े होते थे। लेकिन अपनी ही गलती के कारण हम अमरलोक को छोड़कर इस काल पुरुष के साथ इसके संसार में आ गए। इस काल पुरुष ने हमें अपने माया के जाल में जन्म, मरण और बुढ़ापे के चक्र में फंसा दिया है।

यह काल पुरुष इस संसार का भगवान है, लेकिन यह नकली भगवान है। हमारा असली और पूर्ण (सुप्रीम) भगवान कबीर साहेब हैं, जो इस काल के भी पिता हैं। हम सभी उस कबीर परमात्मा के अंश (आत्मा) हैं, और हम उनके बच्चे हैं। वही हमारे असली माता-पिता हैं। कबीर परमात्मा हर युग में हमें लेने आते हैं और बताते हैं कि काल के इस संसार में सिर्फ़ दुख ही दुख है और हमें वापस अमरलोक चलना चाहिए।

कबीर परमात्मा हर युग में आकर अपना तत्वज्ञान बताते हैं और इस काल की पोल खोलते हैं। वे हमें समझाते हैं कि जिसे हम भगवान मानते हैं, वह असली भगवान नहीं है, बल्कि वे स्वयं हमारे असली भगवान हैं। लेकिन काल की माया के कारण हमारी आँखों पर पर्दा पड़ा होता है, और हम अपने असली पिता को पहचान नहीं पाते। हम कबीर जी को भगवान मानने को तैयार नहीं होते और उन्हें बनारस का साधारण जुलाहा या सिर्फ़ एक कवि कहते हैं।

लेकिन कुछ पवित्र आत्माएं, जैसे गुरु नानक, गरीब दास, रविदास, और नामदेव, अपने असली पिता कबीर परमात्मा को पहचान लेती हैं। कबीर परमात्मा उन नेक आत्माओं को काल के इस जाल से मुक्त करके वापस अमरलोक भेज देते हैं।

कहने का मतलब यह है कि अगर आपको मृत्यु और बुढ़ापे से बचना है, तो आपको सुप्रीम परमात्मा कबीर जी की शरण में आना ही होगा और वापस अपने अमरलोक में जाना होगा। तभी आपका इस काल के जाल से बचना संभव है, अन्यथा नहीं।


अधिक जानकारी के लिए:

अपने कबीर परमात्मा, अपने अमरलोक, और काल के बारे में अधिक जानने के लिए, ‘ज्ञान गंगा’ किताब पढ़ें या YouTube पर संत रामपाल जी महाराज के सत्संग देखें। आप रोज़ाना साधना चैनल पर शाम 07:40 PM पर भी रामपाल जी का सत्संग देख सकते हैं।

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