दयानंद : पैदाइशी महामुर्ख – दयानन्द का पर्दाफाश (भाग-10)


दयानंद का महाअज्ञान: यजुर्वेद के भाष्यों पर सवाल

यह लेख महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा यजुर्वेद के कुछ मंत्रों पर किए गए भाष्यों (व्याख्याओं) की कड़ी आलोचना करता है। लेखक दयानंद पर अज्ञानता, परस्पर विरोधी बातें कहने और अश्लील अर्थ निकालने का आरोप लगाता है, और इन भाष्यों को “दयानंद के भंग की तरंग” बताता है।


परस्पर विरोधी भाष्य पर प्रश्नचिह्न

लेख में यजुर्वेद के अध्याय 30, मंत्र 21 का हवाला दिया गया है, जिस पर दयानंद ने भाष्य किया है।

  • दयानंद का भाष्य: दयानंद पहले लिखते हैं कि “हे परमेश्वर… आप पीली आँखों वाले को उत्पन्न कीजिए,” और फिर उसी मंत्र के अंत में लिखते हैं, “पीले नेत्रों से युक्त पुरुष को दूर कीजिए।

लेखक इस पर सवाल उठाता है कि एक ही मंत्र में ईश्वर से दो परस्पर विरोधी बातें, यानी पीली आँखों वाले को उत्पन्न करने और फिर उसे दूर करने की बात कैसे कही जा सकती है। यह दयानंद की बुद्धि पर सीधा प्रश्नचिह्न लगाता है।


जातिवाद और घृणा का आरोप

लेखक दयानंद के उस भाष्य पर भी आपत्ति जताता है, जिसमें वे लिखते हैं कि “भंगी को, गंजे को, काले रंग वाले, पीले नेत्रों से युक्त पुरुष को दूर कीजिए।”

  • लेखक का तर्क: लेखक पूछता है कि ईश्वर ऐसा क्यों करेंगे? क्या ये लोग मनुष्य नहीं हैं? क्या इनकी सृष्टि ईश्वर ने नहीं की?

लेखक के अनुसार, दयानंद ने अपने वेद भाष्यों में अपनी घृणा को जगजाहिर किया है। वह उनके इस भावार्थ का भी मज़ाक उड़ाते हैं: “भंगी के शरीर में आया वायु दुर्गंधयुक्त होने से सेवन योग्य नहीं इसलिए उसे दूर भगावें।

वह व्यंग्यात्मक लहजे में पूछता है कि यदि इस तर्क पर भंगी को दूर कर दिया जाए, तो क्या भंगी का काम करने के लिए दयानंद का बाप आएगा?


अश्लील भाष्य और आर्य समाजियों से सवाल

लेख में दयानंद द्वारा किए गए कुछ और अश्लील भाष्यों का उदाहरण दिया गया है, जिन पर लेखक आर्य समाजियों से तीखे सवाल पूछता है:

  • दयानंद का भाष्य: दयानंद ने एक मंत्र का अर्थ करते हुए लिखा है: “हे मनुष्यों, तुम… अंधे सर्पों को गुदेंद्रियों के साथ वर्तमान… आंतों से, जलों को नाभि के नीचे के भाग से, अंडकोष को अंडों से, घोड़े के लिंग और वीर्य से संतान को… निरंतर लेओ।”

लेखक इस भाष्य को अश्लील बताता है और आर्य समाजियों से कई प्रश्न पूछता है:

  • अश्लीलता पर सवाल: उन्हें दयानंद के ये अश्लील भाष्य क्यों नहीं दिखते, जबकि यही शब्द अगर अन्य ग्रंथों में मिलें तो वे सनातनधर्मियों को गाली देते हैं?
  • अंधविश्वास पर सवाल: क्या ईश्वर ने वास्तव में अंधे सर्पों को गुदा में घुसाने या घोड़े के लिंग से संतान उत्पन्न करने की आज्ञा दी है?
  • वैज्ञानिक अज्ञानता: इस कृत्य के पीछे का विज्ञान क्या है?
  • सर्प का डर: क्या अंधे सर्पों से आँख वाले सर्पों की तरह नज़र लगने का डर है?
  • अंडकोष और अंडों का अंतर: अंडकोष और अंडों के बीच क्या अंतर है और उन्हें कैसे लिया जा सकता है?

लेखक आर्य समाजियों से अपील करता है कि वे “दयानंद की थुत पर चार जूते मारकर” इन अश्लील भाष्यों का विरोध करें।

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