The Best Fluffy Pancakes recipe you will fall in love with. Full of tips and tricks to help you make the best pancakes.
परमात्मा: साकार या निराकार?
यह लेख इस बात पर गहन चर्चा करता है कि परमात्मा साकार हैं या निराकार। इसमें वेदों, गीता और अन्य धार्मिक ग्रंथों के प्रमाणों का उपयोग करते हुए यह सिद्ध करने का प्रयास किया गया है कि परमात्मा का स्वरूप मनुष्य के समान है।
क्या परमात्मा निराकार है?
प्रश्न उठता है कि परमात्मा साकार है या निराकार? इस लेख के अनुसार, परमात्मा साकार हैं और उनका स्वरूप मनुष्य के जैसा है (नराकार)।
परमात्मा का निराकार होना एक सामान्य धारणा है, लेकिन लेख इसका खंडन करता है।
- अव्यक्त का वास्तविक अर्थ: लेख में बताया गया है कि ‘अव्यक्त’ शब्द का अर्थ निराकार नहीं होता, बल्कि यह साकार होने के बावजूद अदृश्य होना है। उदाहरण के लिए, जब सूर्य बादलों से ढक जाता है, तो वह अदृश्य (अव्यक्त) हो जाता है, लेकिन उसका अस्तित्व साकार ही रहता है। इसी तरह, जो प्रभु हमारी सामान्य साधना से दिखाई नहीं देते, उन्हें अव्यक्त कहा जाता है।
- गीता के प्रमाण: गीता अध्याय 7, श्लोक 24-25 में गीता ज्ञान दाता (ब्रह्म) ने स्वयं को अव्यक्त कहा है, क्योंकि वह श्री कृष्ण के शरीर में प्रवेश करके बोल रहा था। जब वह व्यक्त हुआ, तो उसने अपना विराट रूप दिखाया। यह पहला अव्यक्त प्रभु है, जिसे क्षर पुरुष या काल कहते हैं।
“गीता अध्याय 8, श्लोक 20 में कहा गया है कि इस अव्यक्त (अक्षर पुरुष) से परे एक दूसरा सनातन अव्यक्त परमेश्वर (परम अक्षर पुरुष) है।”
इस प्रकार, ये तीनों प्रभु साकार (नराकार) हैं।
- ब्रह्म की प्रतिज्ञा: क्षर पुरुष (ब्रह्म) ने प्रतिज्ञा की है कि वह अपने वास्तविक रूप में किसी को दर्शन नहीं देगा। गीता अध्याय 11, श्लोक 47-48 में कहा गया है कि अर्जुन के अलावा, उसके विराट रूप को किसी ने नहीं देखा और इस रूप को वेदों की विधि, जप, तप या यज्ञ से नहीं देखा जा सकता। इससे सिद्ध होता है कि किसी भी ऋषि-महर्षि ने इस प्रभु को नहीं देखा, जिसके कारण इसे निराकार मान लिया गया।
परम अक्षर पुरुष और उनका स्वरूप
लेख में कहा गया है कि परम अक्षर पुरुष की भूमिका सभी ब्रह्मांडों में है। वे सत्यलोक में निवास करते हैं, जो पृथ्वी से 16 शंख कोस दूर है। वेदों में इस प्रभु की प्राप्ति की साधना का वर्णन नहीं है, जिसके कारण उन्हें कोई नहीं देख सका। जब वे सशरीर पृथ्वी पर प्रकट होते हैं, तो कोई उन्हें पहचान नहीं पाता।
परमात्मा स्वयं कहते हैं:
“हम ही अलख अल्लाह हैं, कुतुब-गोस और पीर।
गरीब दास खालिक धनी, हमरा नाम कबीर।।”
यह वाणी बताती है कि परमात्मा स्वयं ही कबीर नाम से प्रकट होते हैं और वे ही सर्व सृष्टि के मालिक हैं।
वेदों और गीता में परमात्मा का साकार स्वरूप
लेख में वेदों के प्रमाण दिए गए हैं, जो यह सिद्ध करते हैं कि परमात्मा का स्वरूप मनुष्य के जैसा है:
- महर्षि दयानंद का मत: लेख के अनुसार, आर्य समाज के प्रवर्तक महर्षि दयानंद भी वेदों को सत्य मानते थे। उन्होंने वेदों का हिंदी अनुवाद किया है, जिसमें यह स्पष्ट लिखा है कि परमात्मा ऊपर के लोक में रहते हैं और वहां से चलकर पृथ्वी पर आते हैं। वे अच्छी आत्माओं को मिलते हैं और उन्हें सच्चा भक्ति ज्ञान देते हैं।
- कवि की उपाधि: परमात्मा अपने मुख से तत्वज्ञान को लोकोक्तियों, साखियों, शब्दों और दोहों के रूप में बोलते हैं, जिसके कारण वे कवि की उपाधि प्राप्त करते हैं। वे कवियों की तरह पृथ्वी पर विचरण करते हैं।
- वेदों के मंत्र: लेख में कई ऋग्वेद और यजुर्वेद के मंत्रों का हवाला दिया गया है, जो स्पष्ट रूप से बताते हैं कि परमात्मा मनुष्य जैसे नराकार हैं।
- गीता में तत्वज्ञान: गीता अध्याय 4, श्लोक 32 और 34 में गीता ज्ञान दाता कहते हैं कि परम अक्षर ब्रह्म अपने मुख से तत्वज्ञान बोलते हैं। इस ज्ञान को तत्वदर्शी संतों के पास जाकर ही समझा जा सकता है।
निष्कर्ष
उपरोक्त सभी प्रमाणों से यह स्पष्ट होता है कि परमात्मा निराकार नहीं, बल्कि मनुष्य जैसा साकार (नराकार) हैं। वे स्वयं पृथ्वी पर प्रकट होते हैं और संतों के माध्यम से अपना तत्वज्ञान देते हैं। वेदों और गीता जैसे पवित्र ग्रंथ भी यही पुष्टि करते हैं।