जानिये संत रामपाल जी महाराज को उनके भगत क्यों कहते है भगवान ?


जब कलियुग में आएगा महापुरुष

यह लेख संत रामपाल जी महाराज के भक्तों और अन्य लोगों के बीच फैली गलतफहमियों पर केंद्रित है। इसमें बताया गया है कि संत रामपाल जी महाराज स्वयं को भगवान नहीं मानते, बल्कि कबीर साहेब को ही पूर्ण परमात्मा कहते हैं। यह लेख उनके सतगुरु होने और उनके द्वारा किए गए चमत्कारों को भी प्रमाणित करता है।

“पाँच सहस्र अरु पाँचसौ, जब कलियुग बित जाय।

महापुरुष फरमान तब, जग तारनको आय।।”

संत रामपाल जी महाराज: भगवान या दास?

संत रामपाल जी महाराज के बारे में कई लोगों में यह गलतफहमी है कि वे खुद को कबीर का अवतार या भगवान कहते हैं। इस कारण से, वे उनके सत्य वचनों का समर्थन नहीं करते।

यह लेख स्पष्ट करता है कि संत रामपाल जी महाराज ने कभी भी अपने मुख से स्वयं को भगवान या कबीर का अवतार नहीं कहा है। उन्होंने हमेशा कबीर साहेब को पूर्ण परमात्मा और खुद को उनका दास बताया है।

संत रामपाल जी महाराज सतगुरु कैसे हैं?

लेख के अनुसार, संत रामपाल जी महाराज के सतगुरु होने के कई प्रमाण हैं:

  1. कबीर साहेब ने खुद अपनी वाणी में कहा है कि “सतगुरु को पूर्ण ब्रह्म जानो।” इस आधार पर, संत रामपाल जी महाराज पूर्ण ब्रह्म हैं।
  2. सच्चा गुरु शास्त्रानुसार साधना करवाता है। संत रामपाल जी महाराज के स्पर्श मात्र से लोगों के कष्ट दूर हो जाते हैं। वे कबीर साहेब द्वारा दिए गए सतनाम का रहस्य बताते हैं, और यही एक पूर्ण गुरु या सतगुरु की पहचान है।
  3. कबीर साहेब ने कहा है कि सच्चा गुरु या तो स्वयं भगवान होता है, या फिर उसका भेजा हुआ कोई दास होता है। संत रामपाल जी महाराज कबीर साहेब के कृपापात्र हैं, इसलिए उनके वचनों को परमात्मा कबीर साहेब के वचन समझना चाहिए।
  4. उनके भक्तों के जीवन में चमत्कार: जिन भक्तों ने संत रामपाल जी से नाम उपदेश लिया है, उनके जीवन में चमत्कार अवश्य हुए हैं।
    • किसी का एक्सीडेंट होने पर भी उन्हें संत रामपाल जी महाराज ने बचा लिया।
    • कुछ भक्तों को सतलोक का दर्शन कराया।
    • कुछ भक्तों को उनके घर में ही दर्शन दिए।

ये बातें पूरी तरह सत्य हैं, लेकिन जिन लोगों ने नाम नहीं ले रखा, वे इन पर विश्वास नहीं कर सकते, क्योंकि उनके अनुसार ऐसा तो केवल भगवान ही कर सकता है।

यह लेख समझाता है कि संत रामपाल जी महाराज के चोले (शरीर) में कबीर साहेब स्वयं ही भक्तों की रक्षा करते हैं और दर्शन देते हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि सतगुरु को ही पूर्ण ब्रह्म जानना चाहिए। यदि परमात्मा का साक्षात दर्शन करना हो, तो सतगुरु का दर्शन कर लो।

नाम उपदेश का महत्व

लेख में बताया गया है कि कोई व्यक्ति संत रामपाल जी महाराज को पूर्ण ब्रह्म है या नहीं, यह बात बिना नाम उपदेश लिए नहीं पता चल सकती।

  • सत्य का अनुभव: इस सत्य को जानने के लिए नाम उपदेश लेना पड़ेगा और भक्ति करनी पड़ेगी। तभी यह सुख मिल पाएगा।
  • अदृश्य शक्ति: कबीर साहेब उन लोगों को दर्शन नहीं दे सकते, जिन्होंने अपने जीवन में भक्ति रूपी बीज नहीं बोया है। संत रामपाल जी महाराज इसी बीज को बोते हैं और भवसागर पार करने का रास्ता बताते हैं।
  • परमात्मा की रज़ा: यदि परमात्मा की रज़ा हुई, तो कबीर साहेब संत रामपाल जी के चोले में कहीं भी रक्षा कर सकते हैं और दर्शन दे सकते हैं। इसकी शर्त केवल यही है कि नाम लेकर भक्ति करनी होगी।

यह लेख उन सभी लोगों से आग्रह करता है जो परमात्मा को चाहते हैं, कि वे जागें, क्योंकि जगत का तारणहार प्रकट हो चुका है।

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