वह संत आ चुका है जिसकी भविष्यवाणी मथुरा जयगुरूदेव (तुलसीदास) द्वारा कि गई


मथुरा के जयगुरुदेव द्वारा की गई भविष्यवाणियाँ: 7 सितंबर 1971

यह लेख मथुरा के संत जयगुरुदेव (तुलसीदास) द्वारा की गई भविष्यवाणियों और उनके समर्थकों द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर केंद्रित है। इसमें बताया गया है कि जयगुरुदेव ने 7 सितंबर 1971 को एक संत के आगमन की भविष्यवाणी की थी, जिसने उनके अनुयायियों को उस संत की तलाश में प्रेरित किया।

जयगुरुदेव की भविष्यवाणी

1971 में मथुरा के संत जयगुरुदेव ने एक भविष्यवाणी की, जो ‘शाकाहारी पत्रिका’ में छपी थी। उन्होंने कहा था, “वह अवतार जिसकी लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं, वह 20 वर्ष का हो चुका है। यदि मैं उसका पता बता दूँ तो लोग उसके पीछे पड़ जाएँगे। अभी ऊपर से आदेश बताने का नहीं हो रहा, मैं समय का इंतजार कर रहा हूँ। समय आते ही सबको सब कुछ मालूम हो जाएगा।”

जब उनके अनुयायियों ने बार-बार आग्रह किया कि वह संत कहाँ है, तो उन्होंने बताया, “उस महापुरुष का जन्म भारतवर्ष के एक छोटे से गाँव में हो चुका है और वह व्यक्ति मानव इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति बनेगा। उसे जनता का इतना बड़ा समर्थन प्राप्त होगा, जो आज तक किसी को नहीं मिला। वह महापुरुष नए सिरे से विधान बनाएगा, जो विश्व के सभी देशों पर लागू होगा। उसकी एक ही भाषा होगी और उसका एक ही झंडा होगा।”

अनुयायियों का अन्न त्याग

इस भविष्यवाणी के बाद, जयगुरुदेव पंथ के हजारों अनुयायियों ने उस संत की खोज पूरी होने तक अन्न त्याग का दृढ़ संकल्प लिया है। वे दिन-रात उस संत की तलाश में लगे हुए हैं, जिसके नेतृत्व में कलियुग में सतयुग जैसा माहौल आएगा।

यह बात सुनने में भले ही आश्चर्यजनक लगे, लेकिन यह सच है कि जयगुरुदेव के हजारों समर्थकों ने इस खोज में अन्न का त्याग कर रखा है।

जब उनके समर्थकों ने बार-बार उनसे पूछा कि वे हमेशा कहते रहते हैं कि “सतयुग आएगा, कलियुग जाएगा,” लेकिन अभी तक सतयुग जैसा माहौल क्यों नहीं आया, बल्कि घोर कलियुग आता जा रहा है, तब 7 सितंबर 1971 को जयगुरुदेव ने इस बहुचर्चित प्रश्न पर पर्दा उठाते हुए घोषणा की कि उनकी अगुवाई में सतयुग जैसा माहौल नहीं आएगा, बल्कि वह संत कोई और है।

इस बयान से जयगुरुदेव के सभी अनुयायी आश्चर्यचकित हो गए। उन्होंने उस संत के बारे में और जानकारी मांगी। तब जयगुरुदेव ने बताया कि उस दिन वह संत पूरे 20 वर्ष का हो चुका था।

इस बयान के अनुसार, उस संत की जन्म तिथि 8 सितंबर 1951 बनती है, क्योंकि 7 सितंबर 1971 को उन्होंने अपने 20 वर्ष पूरे किए थे।

उत्तराधिकारी और दावेदार

जयगुरुदेव के जीवित रहते ही इस विषय पर चर्चा शुरू हो गई थी कि वह संत कौन है, जिसकी जन्मतिथि 8 सितंबर 1951 है। इस क्रम में, 8 सितंबर 1951 को जन्मे 11 अनुयायियों ने दावा किया कि वे ही वह संत हैं, जिसे जयगुरुदेव ने अस्वीकार कर दिया। इसके बाद भी कई भक्तों ने दावे किए, लेकिन जयगुरुदेव ने सभी को निरस्त करते हुए यहाँ तक कह दिया कि उनके शिष्यों में से कोई भी वह संत नहीं है।

सन 1981 की गुरुपूर्णिमा पर भी, जयगुरुदेव ने फिर से उस संत का जिक्र किया और दृढ़ता से कहा कि वह संत 30 वर्ष का होने जा रहा है

इसके बावजूद, जयगुरुदेव पंथ के कई अनुयायियों ने अपने-अपने अलग मत और संप्रदाय चला रखे हैं। यह उल्लेखनीय है कि जयगुरुदेव ने अपनी मृत्यु तक किसी को भी अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाया था। फिर भी, उनके कई अनुयायी ‘साम, दाम, दंड, भेद’ के सिद्धांतों की आड़ लेकर गुरु पद पर विराजमान हो गए हैं।

इसके ठीक विपरीत, हजारों की संख्या में अनुयायियों ने खुद को गुरु पद पर बैठाने के बजाय, उन परम संत की खोज में अन्न का त्याग कर रखा है, जिनकी जन्म तिथि 8 सितंबर 1951 है।

लेख के अनुसार, यह संत और कोई नहीं, बल्कि संत रामपाल जी महाराज ही हैं। उनकी जानकारी साधना चैनल पर रात 7:40 से 8:40 बजे और हरियाणा न्यूज़ चैनल पर शाम 6:00 बजे देखी जा सकती है।

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