बाइबल में अनेक प्रभुओं का प्रमाण – क्या सचमुच ईश्वर एक ही है?


बाइबल में अनेक प्रभुओं का प्रमाण – क्या सचमुच ईश्वर एक ही है?

ईसा मसीह जी और उत्पत्ति ग्रंथ का रहस्य

बाइबल के उत्पत्ति ग्रंथ में स्पष्ट लिखा है कि अनेक प्रभु मौजूद हैं।

उत्पत्ति अध्याय 3:22 में यहोवा प्रभु कहता है –
“मनुष्य भले-बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है।”

यहाँ “हम” शब्द यह दर्शाता है कि ऐसे प्रभु और भी हैं।
जबकि ईसाई धर्म में कहा जाता है कि केवल एक ही परमात्मा है।
यह प्रमाण यह भी सिद्ध करता है कि परमात्मा साकार है और मनुष्य सदृश है।


यहोवा के प्रत्यक्ष दर्शन

उत्पत्ति 17:1
“जब अब्राम 99 वर्ष का था तब यहोवा ने दर्शन देकर कहा – ‘मैं सर्वशक्तिमान हूँ। मेरी उपस्थिति में चल और सिद्ध होता जा।’”

उत्पत्ति अध्याय 18:1-10 और 19:1-25
इन श्लोकों में तीन प्रभुओं का उल्लेख मिलता है।

इससे प्रमाणित होता है कि आदम और हव्वा का प्रभु कोई काल-प्रभु था, जिसने उन्हें अदन की वाटिका से निकाल दिया और औरत को श्राप दिया कि वह सदा पुरुष के अधीन रहेगी।


आदम, हव्वा और उनके वंश का प्रारंभ

आदम और हव्वा से दो पुत्र हुए –

  • काईन (कृषक)
  • हाबिल (पशुपालक)

काईन ने अपनी फसल प्रभु को अर्पित की जिसे अस्वीकार कर दिया गया, जबकि हाबिल की भेड़ का मेमना स्वीकार कर लिया गया।

इससे ईर्ष्या कर काईन ने अपने भाई हाबिल की हत्या कर दी।
यही वह स्थान है जहाँ से मानव वंश में मार-काट, लोभ और द्वेष की परंपरा शुरू हुई।


मरियम और ईसा मसीह का जन्म

मरियम को गर्भ एक देवदूत से रहा। यूसुफ ने आपत्ति की, पर स्वप्न में उसे आदेश दिया गया कि वह मरियम को न छोड़े।
मरियम ने ईसा मसीह को जन्म दिया।

  • माता – मरियम
  • पिता – यूसुफ (समाज की दृष्टि में)
  • गर्भ – एक देवदूत द्वारा

यही से ईसाई धर्म की शुरुआत हुई।


ईसा मसीह और काल-ज्योति निरंजन का जाल

ईसा जी को सत्यलोक से पूर्ण परमात्मा ने मिलकर एक परमेश्वर का मार्ग बताया।
लेकिन बीच-बीच में काल (ज्योति निरंजन) के फरिश्ते उन्हें भ्रमित करते रहे।

बाइबल के कई प्रसंग बताते हैं कि –

  • कोई जन्म से अंधा व्यक्ति चमत्कार से ठीक हो गया।
  • किसी प्रेतात्मा से पीड़ित को मुक्ति मिली।

ये सब वास्तव में काल का जाल था – वह पहले किसी प्रेत को भेज देता और बाद में उसी को भगा कर अपने दूत की महिमा करवा देता।


यीशु की मृत्यु और सलीब का रहस्य

ईसा मसीह जी की मृत्यु 30 वर्ष की आयु में शुक्रवार को हुई।

  • उनके हाथ-पाँव लकड़ी की सलीब पर कीलों से ठोंक दिए गए।
  • तीसरे दिन वे पुनः प्रकट हुए और 40 दिन तक शिष्यों को दर्शन देते रहे।

असल में यह पूर्ण परमात्मा कबीर ही थे जिन्होंने उनकी भक्ति को जीवित रखा।
काल चाहता था कि संसार नास्तिक हो जाए, लेकिन परमेश्वर ने सुनिश्चित किया कि भक्ति कभी नष्ट न हो।


निष्कर्ष

बाइबल और कुरान दोनों यह प्रमाणित करते हैं कि –

  • अनेक प्रभुओं का उल्लेख है।
  • आदम और हव्वा से शुरू हुआ वंश पहले दिन से ही मार-काट, लोभ और पाप से भरा था।
  • ईसा मसीह को भी काल-ज्योति निरंजन के फरिश्ते भटकाते रहे।
  • लेकिन पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ने हमेशा समय-समय पर अपने दूत भेजकर सच्चा मार्ग जीवित रखा।
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