एक पिता जिसने अपने बच्चो के लिये क्या-क्या नही किया ।


बड़े आश्चर्य की बात है – कबीर परमेश्वर दास बनकर क्यों आए?

यह वाकई अद्भुत है कि सारी सृष्टि के मालिक, पूर्ण ब्रह्म सतगुरु कबीर परमेश्वर स्वयं इस धरती पर आए और एक साधारण दास के रूप में जीवन व्यतीत किया।

हम मनुष्य, जिनके पास थोड़ी-सी भी संपत्ति या पद आ जाए तो अहंकार और घमंड से भर जाते हैं, वही परमात्मा कबीर साहेब इतनी शक्ति के बावजूद विनम्र बने रहे।


कबीर परमेश्वर का धरती पर आगमन

कबीर परमेश्वर इतने शक्तिशाली हैं कि एक फूंक से पूरा ब्रह्मांड बदल सकते हैं। फिर भी जब वे इस लोक में आए तो:

  • लोगों की गालियाँ सहन कीं,
  • जूते-चप्पल खाए,
  • पंडितों और मुल्लाओं के 52 लातें भी झेलीं।

लेकिन उन्होंने किसी को श्राप तक नहीं दिया। यह उनकी सहनशीलता और शीतलता का अद्भुत उदाहरण है।


आज का इंसान और हमारी स्थिति

आज हम मनुष्य जरा-सी बात पर गुस्से से लाल-पीले हो जाते हैं। अपमान सहन नहीं कर पाते और बदला लेने की सोचते हैं।
जबकि असली ताकतवर इंसान वही है जो –

  • अपने क्रोध पर विजय पा ले,
  • अपमान में दुखी न हो,
  • प्रशंसा में इतराए नहीं।

यही गुण कबीर परमेश्वर ने अपने जीवन से हमें practically दिखाए।


जात-पात और घमंड की सच्चाई

कबीर साहेब जुलाहा कहलाए, समाज ने उन्हें नीच जाति का बताया। जबकि वे खुद कुल मालिक हैं।
आज हम जाट, ब्राह्मण, सुनार जैसी जातियों पर घमंड करते हैं। लेकिन मौत के बाद जब जीव कुत्ते-गधे बनकर जन्म लेगा, तब कहाँ जाएगी यह जात-पात?


दुविधा, दुर्मति और चतुराई – मनुष्य की सबसे बड़ी भूल

कबीर साहेब ने समझाया कि मनुष्य का जन्म तीन बड़ी कमजोरियों से नष्ट हो जाता है:

  1. दुविधा – भगवान कहाँ है, स्वर्ग-नरक सच है या झूठ, यह सोचकर भक्ति न करना।
  2. दुर्मति – सत्संग की अवहेलना करना और माता-पिता की सेवा को ही भक्ति मान लेना।
  3. चतुराई – थोड़ी-सी विद्या सीखकर अपने को सबसे बड़ा ज्ञानी समझ लेना।

इन्हीं दोषों के कारण आत्मा बार-बार नरक और चौरासी लाख योनियों में भटकती रहती है।


गीता और सतगुरु का महत्व

यदि केवल सेवा, दान और चतुराई से मोक्ष मिलता तो भगवान ने गीता के 18 अध्याय और 700 श्लोक क्यों कहे?
वास्तविकता यह है कि मुक्ति तभी मिलेगी जब पूर्ण संत से सच्ची भक्ति विधि सीखी जाए।

आज वर्तमान में वही पूर्ण संत हैं – संत रामपाल जी महाराज, जिनकी शरण में आने से मनुष्य न केवल अपने पापों से मुक्त होता है बल्कि मोक्ष भी निश्चित पाता है।


निष्कर्ष

कबीर परमेश्वर स्वयं दास बनकर इस धरती पर आए ताकि हम मूर्ख जीवों को मार्ग दिखा सकें।
उन्होंने अपने आचरण से दिखाया कि –

  • सहनशीलता ही ताकत है,
  • जात-पात मिथ्या है,
  • और सच्ची भक्ति केवल पूर्ण संत की शरण से ही संभव है।

गरीब दास की वाणी:
“दास बनकर उतरे इस पृथ्वी के माही,
जीव उद्धार हेतु सतगुरु कबीर साक्षात आए।”

सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो।

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