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काफिर कौन? सही मायनों में जानिए इंसानियत और भक्ति का असली अर्थ
अक्सर लोग काफिर शब्द सुनते ही इसे केवल मजहबी पहचान से जोड़ देते हैं। इस्लाम धर्म में बुरे कर्म करने वाले को काफिर कहा गया है, जबकि हिन्दू समाज में उसे ढेड़ कहा जाता है। असल मायनों में काफिर का मतलब है – नीच, दुष्ट और अधर्मी व्यक्ति।
आज ज़रूरत है कि हम अपने जीवन के बीते पलों पर गौर करें और देखें कि कहीं हम भी तो अपने कर्मों से काफिर (ढेड़) तो नहीं बन गए। आइए विस्तार से समझते हैं कि काफिर कौन है और कबीर साहेब तथा संत रामपाल जी महाराज ने इसे कैसे स्पष्ट किया है।
काफिर कौन कहलाता है?
- माता-पिता का अपमान करने वाला – जो अपनी माँ को गालियाँ देता है, उनकी उपेक्षा करता है, वह काफिर है।
- अवैध संबंध रखने वाला – जो साली या अन्य स्त्रियों को बहन/माँ न मानकर उनके साथ दुराचार करता है।
- दान न करने वाला – जो धर्मकार्यों में योगदान नहीं करता और धन को व्यर्थ बर्बाद करता है।
- संतों का अनादर करने वाला – जो सच्चे संतों और महात्माओं की निंदा करता है।
- तीर्थों में भटकने वाला – जो ईश्वर की खोज पत्थरों और मूर्तियों में करता है, न कि सच्चे सतगुरु की शरण में।
- बेईमान व्यापारी – जो व्यापार में धोखा देता है, कम तोलता है या दूसरों का हक़ मारता है।
- उधार लौटाने में धोखा देने वाला – जो लिया हुआ धन या सामान समय पर वापिस नहीं करता।
- परस्त्री गमन करने वाला – कबीर जी ने कहा है: “पर-द्वारा स्त्री का खोलै, सत्तर जन्म अंधा हो डोलै।”
- कन्या हत्या (गर्भपात) करने वाला।
- हिंसा करने वाला – चाहे जंगल में आग लगाना हो, पक्षियों/पशुओं को मारना हो या मासूम जीवों को काटकर खाना हो।
- शराब, तंबाकू और नशे का सेवन करने वाला – कबीर जी कहते हैं:
“शराब पीवै कड़वा पानी, सत्तर जन्म कुत्ते के जानी।”
- देवी-देवताओं की पूजा में उलझा हुआ – एकमात्र पूर्ण परमात्मा को छोड़कर अन्य देवताओं की पूजा करने वाला।
इस प्रकार के और भी अनेक दोष (गुस्सा, लालच, व्यभिचार, लोभ, झूठ आदि) व्यक्ति को काफिर बना देते हैं।
कबीर साहेब और संत रामपाल जी महाराज का संदेश
कबीर साहेब ने स्पष्ट कहा है कि केवल दान, पूजा या दिखावटी कर्म करने से कुछ नहीं होगा। यदि मनुष्य के अंदर ये दोष हैं तो उसका जीवन कभी शुद्ध नहीं हो सकता और न ही मोक्ष मिल सकता है।
परमात्मा ने उपाय बताया है –
- सच्चे संत की शरण में जाकर नाम-दीक्षा लेना
- जीवन भर उन उपदेशों पर चलना
- और पापों से तौबा करके पुनः वही गलतियाँ न करना
संत रामपाल जी महाराज जी आज वही पूर्ण संत हैं, जिनकी शरण में आने से न केवल हमारे पिछले पाप क्षमा होते हैं, बल्कि सच्चा ज्ञान भी मिलता है जिससे इंसान सपने में भी गलत काम नहीं कर सकता।
निष्कर्ष
काफिर या ढेड़ वही है जो गलत कर्म करता है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो।
सच्चा इंसान वही है जो –
- अपने माता-पिता और स्त्रियों का सम्मान करे,
- किसी जीव को कष्ट न पहुँचाए,
- नशा और व्यभिचार से दूर रहे,
- और सबसे बढ़कर पूर्ण परमात्मा की सही विधि से भक्ति करे।
संदेश:
आज ही अपना जीवन सुधारें और संत रामपाल जी महाराज की शरण लेकर सच्ची भक्ति अपनाएँ।
प्रतिदिन अवश्य देखिए – साधना टीवी पर रात 7:40 से 8:40 बजे तक संत रामपाल जी महाराज के अमृत वचन।