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कबीर साहेब और सिकंदर लौदी – मृतक गाय, कमाल और कमाली को जीवित करने का चमत्कार
बंदी छोड़ कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं। वे अनंत-कोटि ब्रह्मांडों के रचयिता हैं। उनके जीवनकाल में कई बार ऐसी घटनाएँ घटीं जिनसे यह सिद्ध हुआ कि वे सचमुच सर्वशक्तिमान हैं। दिल्ली के सुल्तान सिकंदर लौदी के समय घटित कुछ प्रसंग आज भी अमर प्रमाण बने हुए हैं।
कबीर साहेब पर लगाई गई शिकायतें
कबीर साहेब के सत्संग सुनकर अनेक हिंदू और मुसलमान पंडित, मुल्ला, काजी नाराज़ हो गए। वे सिकंदर लौदी के पास जाकर शिकायतें करने लगे –
- “यह कबीर हमारे धर्म की छवि बिगाड़ता है।”
- “यह कहता है कि मस्जिद में खुदा नहीं है, खुद वही खुदा है।”
- “यह मांसाहार को पाप बताता है और कहता है कि मांस खाने वाले नरक में जाएंगे।”
कबीर साहेब की वाणी में स्पष्ट प्रमाण मिलता है –
“कबीर, मांस अहारी मानई, प्रत्यक्ष राक्षस जानि।
ताकी संगति मति करै, होइ भक्ति में हानि।।1।।
उन्होंने मांसाहार, शराब और हिंसा को पाप बताया और कहा कि इससे मुक्ति कभी नहीं मिल सकती।
सिकंदर लौदी के सामने कबीर साहेब
शिकायत सुनकर सिकंदर लौदी ने सैनिक भेजे और कबीर साहेब को पकड़कर दरबार में लाया गया।
राजा ने पूछा – “तू कौन है? अपने को खुदा कहता है?”
कबीर साहेब ने शांत भाव से उत्तर दिया –
“मैं ही अलख अल्लाह हूँ।”
यह सुनकर सिकंदर और मौलवी क्रोधित हो गए। परीक्षण के लिए उन्होंने एक गर्भवती गाय को तलवार से दो टुकड़ों में काट दिया और कहा –
“यदि तू खुदा है तो इसे जीवित कर दिखा, वरना तेरा सिर भी कलम कर दिया जाएगा।”
मृत गाय को जीवित करना
कबीर साहेब ने गाय और उसके बछड़े के टुकड़ों को छुआ। क्षण भर में दोनों जीवित हो उठे। गाय ने दूध भी दिया।
कबीर साहेब ने समझाया –
“गाय हमारी अम्मा है, इस पर छुरी मत चलाओ।
दूध-घी सब आत्माओं के लिए है, मांस खाना पाप है।”
यह देखकर पूरा दरबार स्तब्ध रह गया। स्वयं सिकंदर लौदी भी कबीर साहेब के चरणों में गिर पड़ा और कहा –
“हे कबीर अल्लाह, मुझे क्षमा करें। आप सचमुच खुदा हैं।”
मृत लड़के ‘कमाल’ को जीवित करना
कुछ समय बाद सिकंदर का धार्मिक गुरु शेख तक़ी कबीर साहेब की परीक्षा लेने लगा। उसने कहा –
“यदि यह कबीर सचमुच खुदा है तो नदी में बहते इस मृत लड़के को जीवित करे।”
कबीर साहेब ने पहले शेख तक़ी को अवसर दिया, परंतु वह कुछ न कर सका। तब कबीर साहेब ने आदेश दिया –
“हे आत्मा! जहाँ कहीं है, कबीर हुक्म से इस शरीर में प्रवेश कर।”
क्षण भर में लगभग 12 वर्ष का वह लड़का जीवित हो उठा। सबने कहा – “साहेब ने कमाल कर दिया।”
उसका नाम कमाल रखा गया और कबीर साहेब ने उसे अपने पुत्र रूप में स्वीकार किया।
मृत लड़की ‘कमाली’ को जीवित करना
इसके बाद शेख तक़ी ने फिर चुनौती दी। उसने कहा –
“मेरी बेटी, जो 15 दिन से कब्र में दबी है, यदि कबीर उसे जीवित कर दे तो मैं मान लूँगा कि यही खुदा है।”
निर्धारित दिन पर हजारों लोग इकट्ठा हुए। कबीर साहेब ने कब्र खुलवाई और उस लड़की को जीवित कर दिया।
वह 13 वर्ष की कन्या सबके सामने उठ खड़ी हुई। सब चकित रह गए। लड़की ने स्वयं कहा –
“हे नादान लोगों! ये पूर्ण परमात्मा हैं। इनकी शरण लो और अपना उद्धार करो।”
उसका नाम कमाली रखा गया और उसने अपने पिता शेख तक़ी के साथ जाने से इंकार कर दिया। कबीर साहेब ने उसे अपनी बेटी के रूप में अपने पास रख लिया।
संदेश
इन घटनाओं ने यह सिद्ध कर दिया कि कबीर साहेब ही वह पूर्ण परमात्मा हैं जो जीव को जन्म-मरण से मुक्त कराने की शक्ति रखते हैं।
उन्होंने स्पष्ट कहा –
- मांसाहार, शराब और हिंसा नरक का मार्ग हैं।
- परमात्मा की सच्ची भक्ति ही मुक्ति का मार्ग है।
- हिंदू-मुसलमान की कट्टरता छोड़कर मानवता धर्म अपनाओ।