The Best Fluffy Pancakes recipe you will fall in love with. Full of tips and tricks to help you make the best pancakes.
भगवान श्रीराम की बहन शांता – एक अनसुनी कथा
अक्सर हम सभी भगवान श्रीराम के तीन भाइयों – भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का नाम सुनते हैं। लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि भगवान श्रीराम की एक बड़ी बहन शांता भी थीं।
यह जानकारी वाल्मीकि रामायण और दक्षिण भारत की रामायण में मिलती है, जबकि अधिकतर रामायणों और सामान्य लोककथाओं में इसका उल्लेख नहीं मिलता।
शांता का जन्म और अकाल की कथा
कथाओं के अनुसार जब शांता का जन्म हुआ, उस समय अयोध्या में 12 वर्षों तक भयंकर अकाल पड़ा। राजा दशरथ को सलाह दी गई कि यह अकाल उनकी पुत्री शांता के कारण आया है।
इसी भय और दबाव में राजा दशरथ ने शांता को अपनी साली वर्षिणी (जो अंगदेश के राजा रोमपद की पत्नी थीं) को दान दे दिया।
इस प्रकार शांता का पालन-पोषण राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी ने किया। शांता वास्तव में महारानी कौशल्या की पुत्री थीं और महारानी वर्षिणी उनकी मौसी, अर्थात श्रीराम की मौसी के घर उनका लालन-पालन हुआ।
वाल्मीकि रामायण से प्रमाण
वाल्मीकि रामायण, बालकांड (कांड 1, सर्ग 11) में स्पष्ट श्लोक मिलता है –
“कन्या च अस्य महाभागा शांता नाम भविष्यति।”
अर्थ: दशरथ की एक पुत्री उत्पन्न हुई जिसका नाम शांता रखा गया।
मंत्री सुमंत की सलाह पर शांता का विवाह श्रृंगी ऋषि से कर दिया गया। श्रृंगी ऋषि वही महापुरुष थे जिन्होंने दशरथ के अनुरोध पर पुत्रेष्टि यज्ञ संपन्न कराया, जिसके फलस्वरूप राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।
लोककथाओं में वर्णन
दक्षिणी रामायण में भी उल्लेख है कि शांता, चारों भाइयों से बड़ी थीं।
जब अकाल पड़ा तो दशरथ ने शांता को अंगदेश के राजा रोमपद को सौंप दिया। बाद में रोमपद और वर्षिणी ने उनका विवाह ऋष्यश्रृंग (श्रृंगी ऋषि) से किया।
प्रश्न यह उठता है…
इतिहास में शांता का ज़िक्र बहुत कम क्यों मिलता है?
- क्या यह अध्याय जानबूझकर छिपा दिया गया?
- या फिर इतिहास लिखने वालों ने इसे महत्व नहीं दिया?
- क्या दशरथ पुत्र मोह में इतने डूबे रहे कि पुत्री की स्मृति को भुला दिया?
इन प्रश्नों का उत्तर आज भी इतिहासकारों और धार्मिक विद्वानों के लिए एक रहस्य बना हुआ है।
तत्वज्ञान की ओर संकेत
यह कथा केवल ऐतिहासिक जानकारी भर नहीं है, बल्कि हमें यह भी बताती है कि दुनिया में 84 लाख योनियों में सभी जीव काल-ब्रह्म के बंधन में हैं।
ब्रह्मा, विष्णु, शिव और दुर्गा भी काल-ब्रह्म की सीमा में हैं। वही काल प्रतिदिन लाखों जीवात्माओं के सूक्ष्म शरीर को निगलता है।
इसीलिए कबीर परमेश्वर को बंदी छोड़ कहा गया है – क्योंकि वही जीवात्माओं को काल के बंधन से छुड़ाकर सतलोक तक ले जाते हैं।
निष्कर्ष
भगवान राम की बहन शांता का उल्लेख हमें यह याद दिलाता है कि इतिहास में कई बातें दबा दी गईं या भुला दी गईं।
परंतु शास्त्र और प्रमाण आज भी सच्चाई उजागर करते हैं।
रामायण का यह छिपा अध्याय हमें केवल शांता के बारे में नहीं, बल्कि तत्वज्ञान की ओर भी प्रेरित करता है – कि असली उद्धार केवल पूर्ण परमात्मा की शरण से ही संभव है।