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२४ सिद्धियाँ और परम सिद्धि की पहचान
संतों ने सिद्धियों (अलौकिक शक्तियों) का वर्णन किया है। जीव जब योग, तप, साधना या अन्य उपाय करता है तो उसे अनेक प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त हो सकती हैं। कबीर साहेब और संत गरीबदास जी बताते हैं कि ये सब २४ सिद्धियाँ केवल मायावी खेल हैं।
२४ सिद्धियाँ कौन-कौन सी हैं?
- देवों से मिलाने वाली सिद्धि – साधक को देवताओं का साक्षात्कार कराए।
- मन की वृति बताने वाली – सामने वाले का मन पढ़ ले।
- पवन स्वरूपी सिद्धि – वायु की तरह गति प्राप्त हो।
- अनरूपी सिद्धि – रूप बदलने की शक्ति।
- निस्वासर जागरण – बिना सोए निरंतर जागते रहने की क्षमता।
- सेवक को आगे करने वाली – शिष्य को शक्तिशाली बना दे।
- स्वर्ग यात्रा सिद्धि – साधक को स्वर्ग लोक में ले जाए।
- सब घट छाने वाली सिद्धि – हर प्राणी के भीतर की जानकारी।
- सागर पीने की सिद्धि – समुद्र जैसा जल पी जाने की शक्ति।
- बहु युग जीने वाली – हज़ारों वर्षों तक जीवित रहने की क्षमता।
- आकाश गमन – बिना साधन के आकाश में उड़ना।
- परलोक वास सिद्धि – परलोक यात्रा कर लौट आना।
- कष्ट सहन सिद्धि – किसी भी शारीरिक पीड़ा को जला देना।
- तन को हंस से न्यारा करना – आत्मा को शरीर से अलग अनुभव करना।
- जल में डूबे नहीं – पानी में डूबे बिना रहना।
- जल पर चलना – बिना डूबे जल की सतह पर चलना।
- अनेक चोले धारण – बार-बार शरीर बदलना।
- नीच तत्व विचारे – गहन दार्शनिक बातें समझाना।
- पांच तत्व निरंमल करना – शरीर के पांच तत्वों को शुद्ध करना।
- बजर शरीर बनाना – शरीर को अभेद्य कर लेना।
- न खाना-पीना – बिना भोजन-पानी के जीवित रहना।
- गुप्त सिद्धि – छिपी हुई रहस्यमयी शक्ति।
- ब्रह्मांड चलाने वाली सिद्धि – ब्रह्मांडीय स्तर पर प्रभाव डालना।
- सब नाद मिलाने वाली सिद्धि – सभी ध्वनियों और नादों को नियंत्रित करना।
असली सिद्धि कौन सी है?
गरीबदास जी कहते हैं –
“चोबीसा कूं न दिल चावे, सो हंसा शब्द अतीत कहावे।”
अर्थात्, २४ सिद्धियाँ भले ही मिल जाएं, परंतु यह सब नश्वर हैं।
परम सिद्धि है – सतलोक की प्राप्ति, सतनाम और सारनाम का ज्ञान।
इन्हीं सिद्धियों के पार जाकर आत्मा को पूर्ण मोक्ष प्राप्त होता है। वही सिद्धि स्थाई है।
निष्कर्ष
जो साधक २४ सिद्धियों में उलझ जाता है, वह पुनर्जन्म के जाल में फँसा रहता है।
परंतु जो संत कबीर साहेब जैसे पूर्ण सतगुरु से नाम दीक्षा लेकर सतनाम और सारनाम का जाप करता है, वही जीव सिद्धियों से परे होकर सतलोक का अमर सुख प्राप्त करता है।