जानिये ईसाई धर्म क्या है? शुरु से अंत तक …


पवित्र ईसाई धर्म का परिचय

उत्पत्ति ग्रंथ से प्रारम्भ

पवित्र बाइबल के उत्पत्ति ग्रंथ (पृष्ठ 1–3) के अनुसार –
परमेश्वर ने छः दिन में सम्पूर्ण सृष्टि की रचना की और सातवें दिन विश्राम किया। पहले पाँच दिनों में विविध रचनाएँ हुईं और छठे दिन प्रभु ने कहा – “हम मनुष्य को अपने ही स्वरूप में बनाएँगे।”
तब परमेश्वर ने नर और नारी को अपने स्वरूप में बनाया और उन्हें अदन की वाटिका में रखा। उनके भोजन हेतु केवल फलदार वृक्ष और बीजदार पौधे दिए गए।

प्रथम पुरुष आदम बनाए गए और उनकी पसली से हव्वा की उत्पत्ति हुई। ईश्वर ने आदेश दिया कि “वाटिका के किसी भी वृक्ष का फल खा सकते हो, परन्तु बीच वाले वृक्ष का फल मत खाना, वरना मृत्यु आ जाएगी।”

हव्वा का प्रलोभन और आदम का पतन

बाइबल में लिखा है कि एक सर्प ने हव्वा को बहकाया और कहा – “भगवान नहीं चाहता कि तुम ज्ञानवान बनो। यदि तुम फल खाओगे तो भले-बुरे का ज्ञान होगा।”
हव्वा ने आदम को फल खाने के लिए राजी किया। फल खाने पर उनकी आँखें खुलीं, उन्होंने अपनी नग्नता देखी और अंजीर के पत्तों से तन ढक लिया।

जब प्रभु आए और पूछा – “क्या तुमने फल खाया है?” तो आदम ने स्वीकार किया कि सर्प के बहकावे से उसने फल खाया। परिणामस्वरूप परमेश्वर ने आदम और हव्वा को अदन की वाटिका से निकाल दिया। मनुष्य को श्रम और नारी को पुरुष के अधीन रहने का श्राप मिला।

आदम का वंश और पहली हत्या

आदम और हव्वा के दो पुत्र हुए – काईन और हाबिल

  • काईन किसान था।
  • हाबिल पशुपालक था।

जब दोनों ने भेंट चढ़ाई तो प्रभु ने हाबिल की भेंट स्वीकार की लेकिन काईन की अस्वीकार। इससे काईन द्वेष से भर गया और उसने अपने भाई हाबिल की हत्या कर दी। यही मानव इतिहास की पहली हत्या मानी जाती है।

इसके बाद आदम के वंश में सेत और एनोस हुए। वहीं से प्रभु के नाम का स्मरण प्रारम्भ हुआ।

ईसाई धर्म की शुरुआत

इसी वंश परंपरा में बाद में हजरत ईसा मसीह का जन्म हुआ। उनकी माता मरियम और पिता यूसुफ थे। बाइबल और कुरान दोनों में वर्णन है कि मरियम को एक देवदूत द्वारा गर्भ रहा। विरोध और विवाद के बावजूद यूसुफ ने मरियम का त्याग नहीं किया।

हजरत ईसा के जन्म के साथ ही पवित्र ईसाई धर्म की नींव पड़ी। वे लोगों को एक परमेश्वर की भक्ति सिखाने लगे।

ईसा मसीह के चमत्कार

बाइबल में उनके अनेक चमत्कार दर्ज हैं –

  • जन्मांध को दृष्टि देना
  • प्रेतात्मा से पीड़ितों को मुक्ति देना
  • बीमारों को स्वस्थ करना

परन्तु यह भी स्पष्ट है कि इन चमत्कारों के पीछे ब्रह्म (काल/ज्योति निरंजन) की भूमिका थी, जो अपनी शक्ति से साधकों और नबियों के माध्यम से महिमा प्रकट करता है।

विरोध और सूली

जब ईसा मसीह ने एक परमेश्वर की भक्ति पर ज़ोर दिया तो तत्कालीन यहूदी धर्मगुरु और महंत उनके विरोधी हो गए। उन्हें डर था कि लोग मंदिरों से हटकर ईसा का अनुसरण करने लगेंगे।

30 चाँदी के सिक्कों के लालच में एक शिष्य ने उन्हें पकड़वा दिया। जनता के दबाव में उन्हें सूली (क्रॉस) पर चढ़ा दिया गया। असहनीय पीड़ा में उन्होंने पुकारा –
“हे मेरे प्रभु! आपने मुझे क्यों त्याग दिया?”

सूली पर उनकी मृत्यु हो गई। बाद में वे कुछ समय के लिए प्रकट भी हुए ताकि भक्तों का विश्वास बना रहे।

गूढ़ तथ्य – बाइबल और कुरान का रहस्य

  • बाइबल और कुरान में कई स्थानों पर स्पष्ट है कि नबी या मसीह में कोई अन्य आत्मा प्रवेश कर भविष्यवाणी करवाती है।
  • यही कारण है कि कहीं-कहीं मांसाहार जैसी शिक्षाएँ दिखती हैं, जबकि सच्चे परमेश्वर ने ऐसा आदेश नहीं दिया।
  • काल (ज्योति निरंजन) अपने जाल से लोगों को बाँधता है और भक्तों को भ्रमित करता है।

निष्कर्ष

ईसा मसीह पूर्ण परमात्मा के संदेशवाहक थे। उन्होंने एकमात्र परमेश्वर की भक्ति का मार्ग दिखाया।
परन्तु उनके जीवन और मृत्यु से यह भी सिद्ध होता है कि –

  • काल (ज्योति निरंजन) अपने जाल से साधकों और नबियों को उलझाता है।
  • सच्चा मार्ग केवल वही है जो पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब स्वयं आकर बतलाते हैं।
  • शास्त्रों का सार यही है कि केवल पूर्ण संत की शरण में जाकर ही जीव को मोक्ष प्राप्त हो सकता है।

यह था “पवित्र ईसाई धर्म का परिचय” – बाइबल, कुरान और संतवाणी के प्रमाणों पर आधारित।


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