जानिये कौन होता है पूर्ण संत?


पूर्ण संत की पहचान – शास्त्र और संतवाणी से प्रमाण

धर्म मार्ग में सबसे बड़ी समस्या है – असली और नकली संत की पहचान। हर युग में जब-जब अधर्म बढ़ा और नकली गुरुओं ने भक्ति मार्ग को बिगाड़ दिया, तब परमात्मा स्वयं या अपने दूत संत को भेजकर सही मार्ग का ज्ञान कराते हैं।

1. कबीर साहेब की वाणी से पहचान

कबीर साहेब ने धर्मदास जी को समझाते हुए कहा –

“जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै, वाके संग सभि राड़ बढ़ावै।
या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मैं तो से वर्णी।।“

अर्थात् जो संत शास्त्रों के अनुसार भक्ति बताएगा, उसके विरुद्ध झूठे संत और महंत खड़े हो जाएंगे।

2. संत गरीबदास जी की वाणी से प्रमाण

“सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारा बोध।।“

पूर्ण संत वही है जो वेद, शास्त्र, पुराण, गीता, बाइबल, कुरान – सभी का जानकार हो और उनका सार समझाए।

3. वेदों से प्रमाण

यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25–26 में लिखा है कि –

  • पूर्ण संत वेदों के अधूरे वाक्यों को पूरा करके तत्वज्ञान समझाता है।
  • वह तीन समय की अलग-अलग पूजा बताता है –
    • प्रातःकाल परमात्मा की आराधना
    • मध्याह्न में देवताओं का सत्कार
    • संध्या को आरती

यही जगत-उपकारी संत की पहचान है।

4. गीता से प्रमाण

गीता अध्याय 4 श्लोक 34 – तत्वदर्शी संत की शरण में जाकर ही तत्वज्ञान मिल सकता है।
गीता अध्याय 15 श्लोक 1–4 – संसार रूपी वृक्ष का रहस्य वही संत समझाता है और फिर परम पद का मार्ग बताता है, जहाँ से आत्मा लौटकर नहीं आती।

गीता 17:23

“ॐ तत् सत् इति निर्देशः ब्रह्मणः त्रिविधः स्मृतः।।“
अर्थात् पूर्ण संत तीन मंत्रों का उपदेश देता है – ओम्, तत्, सत्। यही मोक्षदायक साधना है।

5. कबीर सागर और संतवाणी से प्रमाण

कबीर साहेब और गरीबदास जी की वाणी कहती है कि –

  • पूर्ण संत तीन बार में नाम (मंत्र) देता है।
  • पहले पाँच गुप्त नामों से शरीर के चक्र खोलता है।
  • फिर दो अक्षर (ओम् और तत्) का उपदेश देता है।
  • अंत में सार नाम प्रदान करता है जो केवल पूर्ण संत के पास है।

6. पूर्ण संत की व्यावहारिक पहचान

  • वह किसी से जबरन दान/चंदा नहीं लेता।
  • अपने अनुयायियों को नशा, मांस, व्यभिचार और अंधविश्वास से दूर रखता है।
  • केवल शास्त्रानुकूल भक्ति कराता है।
  • उसके विरोध में अन्य पाखण्डी संत अवश्य खड़े होंगे।

7. भविष्यवाणी का प्रमाण

फ्रांसीसी भविष्यवक्ता नोस्ट्राडेमस (Nostradamus) ने भी कहा था कि 2006 में भारत में एक संत प्रकट होगा जो पूरे विश्व को नया धर्म मार्ग बताएगा। वह हिंदू होगा परंतु उसकी भक्ति पद्धति सबसे भिन्न और शास्त्रसंगत होगी।
यह भविष्यवाणी संत रामपाल जी महाराज पर पूर्णतः खरी उतरती है।


निष्कर्ष

पूर्ण संत वही है –

  1. जो शास्त्रों के अनुसार भक्ति कराए।
  2. तीन नामों (ॐ, तत्, सत्) का उपदेश दे।
  3. वेद, गीता, बाइबल, कुरान आदि सभी ग्रंथों का सार जानता हो।
  4. जीवों को नशा, मांस, पाखंड से मुक्त कराए।
  5. जिसके विरोध में अन्य पाखंडी संत खड़े हों।

आज ये सभी लक्षण केवल जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज में स्पष्ट रूप से मिलते हैं।

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