
दुनिया के पाखंडी लोग और असली परमात्मा की पहचान
आज दुनिया में अंधभक्ति और पाखंड का बोलबाला है। लोग चार ईंटों से बनी मूर्तियों को माँ मानकर पूजते हैं। जिस पर कुत्ता भी पेशाब कर देता है, उसे भी भगवान समझ लिया जाता है। पत्थर की मूर्तियाँ, पीरों की मजारें, समाधियाँ – जिनके पास न बोलने की शक्ति है, न समाधान करने की – उन्हें लोग ईश्वर मान बैठे हैं।
लोग गंगा में नहाने को पापमोचक मानते हैं। अगर गंगा में नहाने से पाप कटते हैं तो फिर कछुए, मछलियाँ, मेंढक और अन्य जलीय जीव – जो गंगा में ही रहते हैं – सबसे पहले पवित्र क्यों नहीं हो जाते? हकीकत यह है कि गंगा में नहाने से तन का मैल तो धुल सकता है, पर मन का मैल कैसे दूर होगा?
इसीलिए कबीर साहेब ने कहा –
“पर्वत पर्वत मैं फिरा, कारण अपने राम।
राम सरीखे संत मिले, जिन सारे सब काम।। ”
कबीर साहेब हमें समझाते हैं कि असली परमात्मा पर्वतों या तीर्थों में नहीं, बल्कि राम जैसे ज्ञानी संत की शरण में मिलता है।
तीर्थ बनाम संत
कबीर कहते हैं –
“तीर्थ जाये एक फल, संत मिले अनेक।
पूर्ण संत के सतसंग से, होते पाप अनेक।। ”
तीर्थ यात्रा से केवल एक क्षणिक लाभ मिलता है, परंतु पूर्ण संत की शरण में मिलने से अनगिनत फल प्राप्त होते हैं। पूर्ण संत मन का मैल दूर करता है, आत्मा को निर्मल करता है और मोक्ष का मार्ग बताता है।
पत्थरों की पूजा से कोई लाभ नहीं होता। वेद और गीता में कहीं नहीं लिखा कि मूर्तियों या तीर्थों की पूजा से मुक्ति मिलेगी।
देवताओं की असलियत
लोग गाय को पूजते हैं यह मानकर कि उसमें 33 करोड़ देवताओं का वास है। परंतु असल में गाय हमें दूध-घी देती है, वह सच में उपयोगी है। देवताओं ने क्या दिया? इतिहास बताता है कि रावण और मेघनाथ ने 33 करोड़ देवताओं को बंदी बना लिया था। इंद्र जैसे देवता तक उनकी कैद में थे। जब खुद देवता दुखी हैं तो दूसरों की रक्षा कैसे करेंगे?
- हजरत मुहम्मद: मुसलमान उन्हें अल्लाह का रसूल मानते हैं। लेकिन वे बचपन में ही अनाथ हो गए। उनकी आँखों के सामने उनके तीन बेटे मर गए, वे उन्हें भी नहीं बचा पाए। जब मुहम्मद जी अपने बच्चों को अल्लाह से नहीं बचा पाए तो आज मुसलमान क्यों उसी अल्लाह से अपनी सलामती की भीख माँगते हैं?
- ईसा मसीह: ईसाई मानते हैं कि वे भगवान के पुत्र थे। लेकिन उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया। अगर वे ईश्वर थे या ईश्वर के दूत थे तो खुद को क्यों नहीं बचा पाए? क्यों उनके भगवान ने उनकी रक्षा नहीं की?
- हनुमान जी: हनुमान जी को लोग अन्तर्यामी मानते हैं। लेकिन उन्हें एक साधारण जड़ी-बूटी की पहचान तक नहीं थी। वे पूरा पहाड़ उठाकर ले आए। अगर यही ईश्वरत्व है तो शेषनाग तो पूरी पृथ्वी उठाए हुए हैं – तो क्या वे हनुमान से बड़े भगवान नहीं हुए?
- कृष्ण जी: द्वारिका में 56 करोड़ यादव आपस में लड़कर मारे गए। कृष्ण जी उन्हें नहीं बचा सके। अभिमन्यु युद्ध में मारा गया, उसे भी जीवित नहीं कर पाए। स्वयं द्वारिका समुद्र में डूब गई। दुर्वासा ऋषि के श्राप को भी कृष्ण नहीं रोक पाए।
- शिव जी: भस्मासुर ने तप कर शिव से वरदान लिया और फिर उन्हीं के पीछे मारने के लिए दौड़ा। शिव डरकर भागे। अगर वे सर्वशक्तिमान भगवान हैं तो उन्हें डर किस बात का? केदारनाथ में हजारों लोग मरे, हरिद्वार में साधुओं का खून बहा, शिव क्यों नहीं बचा पाए?
- राम जी: राम अपनी पत्नी सीता को रावण से नहीं बचा पाए। 14 साल जंगलों में भटके। अगर वे भगवान थे तो सीधे लंका जाकर रावण का वध क्यों नहीं किया? सीता को 12 साल तक रावण की कैद में क्यों रहना पड़ा?
सच्चा मार्ग – कबीर परमेश्वर की शरण
यह सारे उदाहरण बताते हैं कि देवी-देवताओं, अवतारों और पैगम्बरों की पूजा से कोई लाभ नहीं मिलता। ये सब स्वयं ही दुखों से मुक्त नहीं हो सके।
अगर असली शांति और मोक्ष चाहिए तो उसकी प्राप्ति केवल पूर्ण परमात्मा से हो सकती है। वही परमात्मा है – कबीर साहेब – जो “बंदीछोड़” हैं, जो जीवों को काल और कर्मबंधनों से मुक्त करते हैं।
वेद, गीता, कुरान और बाइबिल सभी में प्रमाण है कि असली ईश्वर कबीर ही हैं। उनकी शरण में आने से ही मुक्ति और सुरक्षा संभव है।
निष्कर्ष
दुनिया पाखंडियों के पीछे भाग रही है। कोई मूर्ति पूज रहा है, कोई मजार, कोई देवता, तो कोई पैगम्बर। पर सच्चा ईश्वर कोई और है – वही जिसने इस सृष्टि की रचना की, वही जो जीवों को चौरासी से छुड़ा सकता है।
वह हैं – पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब।
🙏🏻 आओ, बंदीछोड़ की शरण में चलें।
🙏🏻 उनकी भक्ति से ही मोक्ष और सच्ची रक्षा संभव है।
