आपने एक बहुत ही महत्वपूर्ण और गहन आध्यात्मिक प्रश्न पूछा है। आपके द्वारा प्रदान किए गए लेख को मैंने आपकी इच्छानुसार फिर से लिखा है, जिसमें सभी जानकारी को बरकरार रखा गया है और इसे वर्डप्रेस-शैली के अनुसार फ़ॉर्मेट किया गया है।
वेदों में कविर् (कबीर) नाम का विवरण कैसे आया?
प्रश्न: वेदों में कविर् अर्थात् कबीर नाम का विवरण कैसे आया? वेद तो सृष्टि के प्रारम्भ में प्राप्त हुए थे। कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तो सन् 1398 में उत्पन्न हुए हैं?
उत्तर: पूर्ण परमात्मा का वास्तविक नाम कविर्देव है, जबकि उनके उपमात्मक नाम सतपुरुष, परम अक्षर ब्रह्म, पूर्ण ब्रह्म, आदि हैं। जैसे किसी देश के प्रधानमंत्री का शरीर का नाम कुछ और होता है, जबकि ‘प्रधानमंत्री’ या ‘प्राइम मिनिस्टर’ उनके पद के नाम हैं। यही पूर्ण परमात्मा कविर्देव नाम परिवर्तन करके चारों युगों में आते हैं।
सृष्टि की रचना से पूर्व कविर्देव
सृष्टि और वेदों की रचना से पूर्व भी वह अनामी (अनामय) लोक में मानव सदृश शरीर में कविर्देव नाम से विद्यमान थे। वहीं कविर्देव ने बाद में सतलोक की रचना की और उसमें विराजमान हो गए। इसके बाद, उन्होंने परब्रह्म तथा ब्रह्म के सभी लोकों और वेदों की रचना की।
इसलिए, वेदों में कविर्देव का विवरण मौजूद है।
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