
साईं बाबा के अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले शंकराचार्यों पर भी उठने लगे सवाल
जब गीता की आड़ में गीता का अपमान पुस्तक शंकराचार्य जी को थमाई गई, तो निश्चलानंद जी भांप गए कि इससे पार पाना मुश्किल है, क्योंकि तीर निशाने पर लगा है। जवाबदेही आपकी ही है, महात्मा जी।
जनता आपकी टिप्पणी का इंतजार करेगी, उम्मीद है हमेशा की तरह मौन नहीं रहेंगे और ज्ञान का जवाब ज्ञान से देंगे।
20 फरवरी 2017 को बीकानेर में पुरी द्वारिका पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती को संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा ‘गीता तेरा ज्ञान अमृत’ और ‘गीता जयंती की आड़ में गीता का अपमान’ पुस्तिका दी गई। उन्हें बताया गया कि सभी अनुवादकों और टीकाकारों ने गीताजी के कुछ श्लोकों का अनुवाद गलत किया है। यहाँ तक कि स्वयं शंकराचार्य जी भी गीता के मूल ज्ञान से अनभिज्ञ हैं।
इसी कारण आज तक इतनी बड़ी गलतियाँ गीता जी में चली आ रही हैं, जिससे गीताजी का मूल भाव बदल गया। गलत अनुवाद के कारण भक्त समाज गीता के यथार्थ ज्ञान से दूर रहा, जिससे भक्त समाज को अपार हानि हो रही थी।
