संत रामपाल दास जी महाराज : एक सच
संत रामपाल जी महाराज का व्यक्तित्व और उनके विचार एक ऐसा सत्य हैं जिसे विरोधी पचा नहीं पाते। उनका जीवन और उनकी शिक्षाएँ एक ऐसा रहस्य उजागर करती हैं जो अन्य धर्मगुरुओं और उनके आडंबरों को स्पष्ट कर देता है। जहाँ अन्य साधु-संत केवल परंपरागत उपदेशों तक सीमित रहते हैं, वहीं संत रामपाल जी महाराज विज्ञान और अध्यात्म को जोड़कर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं।
आज के समय में जब पढ़ा-लिखा समाज यह मानने लगा है कि स्वर्ग और नरक का फल इसी दुनिया में भोगना पड़ता है, तब सवाल उठता है कि आखिर संत रामपाल जी महाराज जिस “सतलोक” की चर्चा करते हैं, वह क्या वास्तव में सच है? क्या आधुनिक युग में अध्यात्म की उस गहराई तक विश्वास किया जा सकता है? इस प्रश्न का उत्तर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी मिलता है।
संत रामपाल जी महाराज ने अपने अनुयायियों को जीवन की सबसे बड़ी बाधाओं में से एक यानी नशे से पूर्ण रूप से मुक्त किया है। शराब, सिगरेट, तंबाकू, भांग और अन्य नशे केवल शरीर और आत्मा को ही नहीं, बल्कि परिवार की आर्थिक स्थिति और सामाजिक ताने-बाने को भी तोड़ते हैं। हजारों परिवार नशे के कारण बर्बाद हो जाते हैं, बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाता है और घरों में कलह का माहौल बना रहता है। इस बुराई से छुटकारा दिलाकर वे अपने अनुयायियों को एक नए, स्वस्थ और सच्चे जीवन की ओर ले जाते हैं। यही असली मानव जीवन का उद्देश्य है।
इसके साथ ही संत रामपाल जी महाराज ने समाज में व्याप्त कुरीतियों और खोखली परंपराओं से मुक्ति दिलाने का आंदोलन छेड़ा है। जात-पात का भेदभाव, देवियों और देवताओं की मनमानी पूजा, विवाहों में दहेज और अनावश्यक खर्च, जन्मदिन और मृत्यु शोक के नाम पर की जाने वाली अनावश्यक रस्में – इन सभी से उन्होंने अपने अनुयायियों को मुक्त किया है। जब इंसान इन बंधनों से आज़ाद होता है, तभी वह दबावमुक्त होकर जीवन का वास्तविक आनंद ले सकता है। यही कारण है कि लोग उन्हें ‘बंदीछोड़’ के नाम से पुकारते हैं।
संत रामपाल जी महाराज संस्कारों को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। उन्होंने अपने अनुयायियों को सत्य बोलने, चोरी-ठगी से दूर रहने, सट्टा और जुए का परित्याग करने, सात्विक भोजन करने, माता-पिता की सेवा करने और अपनी पत्नी के अतिरिक्त सभी स्त्रियों को माँ-बहन का दर्जा देने जैसे जीवनमूल्य दिए हैं। इस वैज्ञानिक युग में जहाँ ऐसे संस्कार दुर्लभ हो गए हैं, वहाँ उनका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इन संस्कारों से परिपूर्ण जीवन वास्तव में स्वर्ग से भी बढ़कर है और यही सतलोक की अवधारणा को सशक्त करता है।
सबसे विशेष बात यह है कि संत रामपाल जी महाराज जो मंत्र प्रदान करते हैं, उसे अन्य धर्मगुरु मानने से कतराते हैं। लेकिन अब वैज्ञानिक अनुसंधान भी यह साबित करने लगे हैं कि उनके मंत्र का उच्चारण करने से मनुष्य की शारीरिक और मानसिक शक्ति में अद्भुत वृद्धि होती है। यह साधना न केवल सभी दुर्गुणों का नाश करती है, बल्कि व्यक्ति के भीतर नई ऊर्जा का संचार भी करती है। वास्तव में इसके लाभ योग और प्राणायाम से भी करोड़ों गुना अधिक हैं।
यही कारण है कि यह निष्कर्ष निकालना पूरी तरह सटीक है कि इस संसार में तारणहार के रूप में केवल और केवल सद्गुरुदेव रामपाल जी महाराज ही अवतरित हुए हैं। वे ही एकमात्र जगतगुरु और तत्वदर्शी संत हैं, जिन्होंने विज्ञान और अध्यात्म दोनों के आधार पर सच्चे ज्ञान को प्रकट किया है।
उनके ये सभी कार्य इस सत्य को दृढ़ करते हैं कि वे ही पूर्ण परमात्मा के प्रतिनिधि हैं। परंतु दुख की बात यह है कि विरोधी उनके जैसे कार्य तो नहीं कर पाते, लेकिन उनके मिशन में बाधा डालने की भरपूर कोशिश जरूर करते हैं।
सच्चाई यह है कि संत रामपाल जी महाराज ही सत साहेब हैं। वे ही वह तत्वदर्शी संत हैं जिनकी शिक्षाएँ आने वाली पीढ़ियों को दिशा देंगी।
